रुद्रप्रयाग। जिले में अधिकांश पटवारी चौकियां और पंचायत भवन शोपीस बनकर रह गए हैं। राजस्व उप निरीक्षक, पंचायत मंत्री व ग्राम विकास अधिकारी कार्यालयों में बैठने के बजाय सुविधाजनक स्थानों पर अपने कार्यालय खोलकर कार्य निपटा रहे हैं। इसके चलते आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में रुद्रप्रयाग, ऊखीमठ, जखोली और बसुकेदार तहसीलों में 52 पटवारी चौकियां अस्तित्व में हैं। लेकिन, अधिकांश राजस्व उप निरीक्षक पटवारी चौकियों में बैठने के बजाय सुविधाजनक स्थानों पर कार्यालय खोलकर बैठे हैं। इससे लाखों रुपये से निर्मित चौकियां शोपीस बनकर रह गई हैं। इन पटवारी चौकियों में मकड़े के जाले लगने के साथ ही चारों ओर घास उग आई हैं। ये चौकियां देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं। ऐसा ही हाल पंचायत भवनों का भी बना हुआ है। ग्राम विकास अधिकारी और पंचायत मंत्री के न्याय पंचायत स्तर पर पंचायत भवनों में नहीं बैठने से भी जनता परेशान है। पंचायत मंत्री और ग्राम विकास अधिकारी भी न्याय पंचायत स्तर के पंचायत भवनों में नहीं आ रहे हैं। इसके चलते जनता को अपने कार्यो को निपटाने के लिए कई किमी का सफर तयकर मजबूरन उनके पास जाना पड़ रहा है। कही बार तो अधिकारी न मिलने से जनता को बैरंग लौटना पड़ता है। आम जनता इन अधिकारियों की कार्यप्रणाली से काफी परेशान है।
जिले में राजस्व उप निरीक्षक के 52 पदों के सापेक्ष 43 पदों पर ही पटवारी तैनात हैं, जबकि नौ पद खाली चल रहे हैं। इसी प्रकार पंचायत मंत्री के 53 पदों के सापेक्ष 36 पदों पर ही तैनाती है और 17 खाली चल रहे हैं। ग्राम विकास अधिकारी के 33 पदों के सापेक्ष 11 पदों पर तैनाती है और 21 खाली चल रहे हैं। इसके बावजूद कर्मचारी अपने कार्यालय में नहीं बैठ रहे हैं। एक ओर जहां प्रदेश सरकार %अधिकारी जनता के द्वार% का अभियान चलाने की बात कह रही है। वहीं रुद्रप्रयाग जिले में राजस्व उप निरीक्षक, पंचायत मंत्री और ग्राम विकास अधिकारी सरकारी कार्यालयों में बैठने के बजाय अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे हैं।
राजस्व उप निरीक्षक, पंचायत मंत्री व ग्राम विकास अधिकारी के अपने कार्यालय में न बैठने की शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। -बृजेश तिवारी, एसडीएम