श्री बाल रामलीला में श्रीराम के वनवास जाने पर भावुक हुए दर्शक
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। श्री बाल रामलीला कमेटी के तत्वाधान में आयोजित रामलीला मंचन के पांचवे दिन राम के राजतिलक की तैयारियों से लेकर वनवास तक और राजा दशरथ की मृत्यु तक की लीला का मंचन किया गया। रानी कैकेई द्वारा राम को वनवास और भरत को अयोध्या का राजा बनाने के वर मांगने से लेकर राम, लक्ष्मण व सीता के वन जाने तक की लीला का सजीव चित्रण दर्शाया गया। लीला में वनवास के दौरान राम व कौशल्या संवाद ने दर्शकों को भावुक कर दिया।
सोमवार रात को रामलीला मंचन का विविधत पूजा कर शुभारंभ किया गया। रामलीला मंचन में दिखाया गया कि मंथरा के बहकावे में आकर कैकई कोप भवन में चल्के लिए चौदह वर्ष का बनवास व अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राज मांगती है। रोते बिलखते राजा दशरथा श्रीराम को 14 वर्ष का बनवास देते है। श्रीराम के साथ वन में सीता और लक्ष्मण भी मुनि वेष धारण कर चले जाते है। जहां जंगल में श्रीराम की मुलाकात निषादराज से होती है। श्रीराम को अपने देखकर निषादराज खुशी से झूम उठते है और उनका खूब आदर सत्कार करते है। इसके बाद गंगा नी को पार कराने के लिए निषादराज श्रीराम, सीता और लक्ष्मण को केवट से मिलवाते है। केवट भगवान राम को पहचान लेते है और फिर सबको गंगा पार करवाते है। इधर अयोध्या में दु:खी दशरथ अपने प्राण त्याग देते है। इस मौके पर मुख्य अतिथि विजय अग्रवाल, प्रमोद रावत, पूर्व सभासद विवेक अग्रवाल, पार्षद विपिन डोबरियाल, विनय भाटिया, राधेश्याम शर्मा, पंकज अग्रवाल, आरेश वाल्मिकी, दिनेश तड़ियाल, नितिन गुप्ता, प्रदीप अग्रवाल, संजय रावत, मीना सेमवाल, राजू छावड़ा, जितेन्द्र बेवनी, दिनेश शर्मा आदि मौजूद थे।