सीधी भर्ती के पदों पर नियमित हुए कर्मचारियों के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ने की सुनवाई
नैनीताल। हाईकोर्ट ने 2016 की विनियमितीकरण नियमावली के निरस्त होने के बाद भी सीधी भर्ती के पदों पर नियमित किए गए कर्मचारियों के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन को विधि अनुसार निस्तारित करें। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हल्द्वानी निवासी हिमांशु जोशी की याचिका पर सुनवाई हुई।
याचिका में कहा है कि सरकार द्वारा 2016 में विनियमितीकरण नियमावली बनाई गई, जिसके तहत विभागों में अस्थायी व संविदा में कार्य करने वाले कर्मचारियों को सीधी भर्ती के पदों पर नियमित कर दिया था। इस नियमावली को उनके द्वारा उच्च न्यायलय में चुनौती दी गयी थी। उच्च न्यायलय ने इस नियमावली को निरस्त कर राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि इन पदों पर सीधी भर्ती की जाय।
याचिकाकर्ता ने नई याचिका में कहा है कि जब नियमावली ही निरस्त हो चुकी है तो इन पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को अभी तक क्यों नहीं हटाया गया और यह पद सीधी भर्ती के है।
सचिव कार्मिक से तीन सप्ताह में मांगा जवाब
नैनीताल। हाईकोर्ट ने उधमसिंह नगर जिले के रहे एसएसपी बरिंदर जीत सिंह के तबादला आदेश पर सुनवाई करते हुए सचिव कार्मिक से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई।याचिकाकर्ता आईपीएस बरिंदर जीत सिंह ने अपनी याचिका में डीजीपी अनिल रतूडी, डीजी ल एंड अर्डर अशोक कुमार व पूर्व आईजी कुमाऊं पर प्रताड़ना व उत्पीड़न का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उनको महत्वपूर्ण मामलों में निष्पक्ष जांच करने से रोका गया और जिसके फलस्घ्वरूप उनका तबादला किया गया ।12 साल की सेवा में ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठ होने के कारण उनका अभी तक आठ बार तबादला किया गया है।
उत्तराखंड भवन निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में गड़बड़ियों के मामले में हुई सुनवाई
नैनीताल। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड भवन निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में गड़बड़ियों और निर्माण श्रमिकों को फायदा पहुंचाने के बजाय बोर्ड चेयरमैन की पुत्रवधू के एनजीओ को लाभ पहुंचाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से तीन सप्ताह मे प्रति शपथपत्र पेश करने को कहा है। इस मामले में सरकार ने साफ किया है कि बोर्ड इस संबंध में जवाब दाखिल करेगा जबकि सचिव की तरफ से शपथपत्र पेश कर कहा कि एनजीओ को वित्तीय मदद नहीं दी गई बल्कि योजना क्रियान्वयन में मदद ली गई।
सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हल्द्वानी के अमित कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। पूर्व में कोर्ट ने बोर्ड के चेयरमैन व श्रम मंत्री हरक सिंह रावत, उनकी पुत्रवधू अनुति गुसाईं रावत सहित सचिव श्रम व केंद्र सरकार के श्रम विभाग, श्रमायुक्त उत्तराखंड तथा केंद्रीय श्रम सचिव को भी मामले में जवाब पेश करने को कहा था। याचिका में कहा है कि निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड उत्तराखंड द्वारा भारी अनियमितताओं तथा मजदूरों के हित के बजाय एक एनजीओ के हित में बोर्ड के संसाधनो को खर्च कर रही है और उक्त बोर्ड की गतिविधियों की जांच की मांग की है तथा बोर्ड के चेयरमैन को ईमानदारी से पद का निर्वहन न करने के कारण हटाने की मांग भी की गई है।