स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने मानी ऑडिट रिपोर्ट की खामियां, सुधार को लिए निर्णय
देहरादून। देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने माना है कि उत्तराखंड के अकाउंटेंट जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में कुछ खामियां सामने आई हैं। इन्हें दूर करने के लिए प्रबंधन ने कुछ ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। ताकि भविष्य में कार्यप्रणाली को बेहतर बनाया जा सके। ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट कंपनियों (पीएमसी) के लिए प्रोजेक्ट की शुरुआत के दौरान ही भुगतान का सही प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। इस कारण पीएमसी को पूरा 28 करोड़ का भुगतान तो हुआ,लेकिन कई योजनाओं का काम अधूरा रह गया और ठीक से कार्य की मॉनीटरिंग नहीं हो पाई। स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर अनुमान से अधिक घाटे की भरपाई के लिए ठोस कदम नहीं उठाने का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। इसके अलावा निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर कई आपत्तियां लगाई गई हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि करोड़ों रुपये का बजट खर्च होने के बावजूद नगर निगम ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत तैयार सफाई मॉडल को नहीं अपनाया। इस कारण निरंतर स्मार्ट सिटी का लाखों का बजट बेवजह खर्च हो रहा है। हालांकि स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है कि योजनाओं का काम करने के दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कार्यों में आई बाधाओं के कारण और जल्द काम करवाने के दबाव में कुछ खामियां रह गई। जिन्हें दूर करने की बात कही है।
स्मार्ट सिटी ने रखा अपना पक्ष
– जो छह सौ के आसपास मल्टीयूटिलिटी डक्ट शेष बची हैं, उनमें कुछ सिल्क्यारा भेजी गई थी। शेष का इस्तेमाल लोक निर्माण विभाग को करने के निर्देश दिए हैं।
– शहर में करीब पचास जगह पर्यावरण सेंसर लगे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इनमें कुछ को उचित स्थान पर शिफ्ट करवाने को कहा है,यह काम जल्द होगा।
– चकराता रोड पर जो मुख्य सड़क किनारे निजी स्कूल परिसर से सटी दीवार बनाई गई है, उस पर नगर निगम के सहयोग आय प्राप्त करने को विज्ञापन लगवाएंगे।
– जिन इलेक्ट्रिक बसों से ज्यादा घाटा हो रहा है, उन्हें ऐसे रूटों पर संचालित करेंगे जहां यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
– लांघा रोड तक जा रही स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों के लिए हर्बटपुर में चार्जिंग स्टेशन की संभावना तलाशी जा रही है,ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुविधा का लाभ मिल सके।