हिमालय से गायब हो जाएगी बर्फ, बूंद-बूंद को तरसेंगे शहर : किशोर उपाध्याय
देहरादून। टिहरी से भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय पर होने वाली बर्फबारी में कमी आ रही है। नतीजतन ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इसका असर पहले से ही जल संकट का सामना कर रहे दिल्ली जैसे महानगरों पर पड़ेगा।किशोर उपाध्याय ने इन आशंकाओं के पक्ष में तमाम अध्ययनों का हवाला दिया, जिनमें अनुमान जताया गया है कि अगले दो से तीन दशकों में हिमालय से बर्फ गायब हो सकती है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर के तेजी से पिघलने के चलते भारतीय मानसून की समयावधि प्रभावित हो रही है। उपाध्याय ने पर्वत श्रृंखला की गंभीर स्थिति के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक खास पहल की है।नीति आयोग के पूर्व सलाहकार और पहल के सदस्य अविनाश मिश्रा ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हिमालय में पहचानी गई हिमनद झीलों में से 27 फीसदी से अधिक का दायरा 1984 के बाद से काफी बढ़ गया है, जिनमें से 130 भारत में हैं। पेट्रोलियम ईंधन के जलने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और हिमनद झीलों का विस्तार हो रहा है। इससे झीलों के फटने के कारण सबकुछ बहा ले जाने वाली बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है।उपाध्याय ने कहा- मौजूदा वक्त में जंगल की आग में वृद्धि से हिमालय और भी गर्म हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे। इससे दिल्ली जैसे शहर भी प्रभावित होंगे। उन्होंने आने वाले खतरे की ओर इशारा करते हुए कहा कि इससे राष्ट्रपति आवास भी सुरक्षित नहीं रहेगा। पहले पहाड़ों पर छह से सात फुट बर्फबारी होती थी। अब यह घटकर एक से दो फुट रह गई है। इसका एक कारण बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और कंक्रीटीकरण है।