तो कोटद्वार में केंद्रीय विद्यालय की घोषणा भी हवा-हवाई
-जिस भूमि पर केवि खोलने की तैयारी वह बताई जा रही है विवादित
-केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने भी कहा अभी स्वीकृत नहीं
-बिना स्वीकृति केंद्रीय विद्यालय के शिलान्यास की तैयारी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : प्रदेश के क्षेत्रीय विधायक व काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कोटद्वार में केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा की है। उनके अनुसार जल्द ही पश्चिमी झंडीचौड़ में इसका शिलान्यास भी किया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि आचार संहिता लगने से पहले केंद्रीय विद्यालय की नींव रख दी जाएगी। यह सब सुनने में ऐसा लगता है कि मानों कोटद्वार जल्द ही विकास की ओर एक कदम और बढ़ाएगा, लेकिन धरातल पर स्थिति ठीक इसके उलट है। दरअसल, काबीना मंत्री ने जिस भूमि पर केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा की है वह विवादित बताई जा रही है। इस भूमि के मामले उच्च न्यायालय व स्थानीय एसडीएम कोर्ट में चल रहे हैं। प्रशासन की मानें तो इस विवादित भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण शुरू नहीं किया जा सकता है। यदि जबरन इस भूमि पर कोई भी निर्माण शुरू किया जाता है और कोई व्यक्ति इसका विरोध करते हुए प्रशासन से शिकायत करता है तो प्रशासन इस कार्य को रोक देगा।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सीमा से लगे गांव पश्चिमी झंडीचौड़ में जिला पंचायत पौड़ी की 52 एकड़ भूमि है। जिसमें से आठ एकड़़ भूमि पर काबीना मंत्री व क्षेत्रीय विधायक हरक सिंह रावत ने केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा की है। इसी आठ एकड़ भूमि पर कुछ लोगों ने मालिकाना हक जताते हुए उच्च न्यायालय व एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किया है।
तो कोटद्वार में केंद्रीय विद्यालय स्वीकृति की बात झूठी
कोटद्वार में केंद्रीय विद्यालय खोलने को स्वीकृति मिलने की बात कही जा रही है और इसी के दम पर जल्द ही केवि के शिलान्यास का दावा किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि अभी तक कोटद्वार में केंद्रीय विद्यालय को खोलने के लिए स्वीकृति नहीं मिली है, बल्कि इसकी प्रक्रिया जारी बताई गई है। नरेंद्र भाई मोदी विचार मंच के सदस्य कै. चंडी प्रसाद डोबरियाल की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में केंद्रीय विद्यालय संगठन ने बताया है कि ग्राम पश्चिमी झंडीचौड़, पट्टी हल्दूखाता, भाबर, तहसील कोटद्वार में नया केंद्रीय विद्यालय खोलने का प्रस्ताव संगठन को प्राप्त हुआ है। प्रस्ताव पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।
आखिर विवादित भूमि को ही क्यों चुना गया केवि के लिए
कोटद्वार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए यहां केंद्रीय विद्यालय की बहुत आवश्यकता है। जिसे जल्द से जल्द बनना चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि आखिर इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए विवादित बताई जा रही भूमि ही क्यों चुनी गई। क्या भूमि का सर्वे गंभीरता के साथ नहीं किया गया। क्या भूमि के इतिहास व भविष्य को लेकर अध्ययन नहीं किया गया। आखिर भूमि के विवाद में पड़ने की स्थिति ही क्यों आई। ऐसे कई सवाल हैं जो केंद्रीय विद्यालय की घोषणा को हवाई साबित करते हैं।
जिला पंचायत ने क्यों नहीं की भूमि पर स्थिति स्पष्ट
एएमए तेज सिंह ने बताया कि जिस भूमि पर केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा हुई है उसे लेकर पूर्व में जिला पंचायत की ओर से शासन को एनओसी भेज दी गई है। सवाल यह उठता है कि जिला पंचायत ने एनओसी किस आधार पर भेजी। क्या जिला पंचायत ने एनओसी भेजने से पहले भूमि पर स्थिति स्पष्ट नहीं की। यदि कुछ लोग इस भूमि पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं तो जिला पंचायत इस पर स्थिति क्यों स्पष्ट नहीं कर रहा है।
क्या केंद्रीय विद्यालय की घोषणा जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़
यदि आचार संहिता से पहले कोटद्वार में केंद्रीय विद्यालय को स्वीकृति मिल भी जाती है तो तब भी यह सवाल उठना लाजमी है कि जिस भूमि के वाद उच्च न्यायालय व एसडीएम कोर्ट में चल रहे हैं, क्या उस पर कोर्ट के आदेश के बिना केंद्रीय विद्यालय की नींव रखी जा सकेगी। यदि ऐसा नहीं है तो क्या केंद्रीय विद्यालय की बात करना जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने जैसा नहीं है। या यह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है।
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पश्चिमी झंडीचौड़ में केंद्रीय विद्यालय के लिए प्रस्तावित भूमि पर कुछ लोगों ने मालिकाना हक जताते हुए उच्च न्यायालय व स्थानीय एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किए हैं। कोर्ट के फैसले के बिना यदि कोई इस भूमि पर निर्माण करता है और दूसरा व्यक्ति इस पर आपत्ति जताते हुए प्रशासन से शिकायत करता है तो प्रशासन अवश्य ही इस पर कार्रवाई करेगा।
विकास अवस्थी, तहसीलदार कोटद्वार