..तो क्या बदल जाएगा पर्यटन० नगर लैंसडौन का नाम, जसवंत गढ़ रखने का प्रस्ताव
बोर्ड ने लैंसडौन का नाम बदलकर जसवंत गढ़ करने संबंधी प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : ..तो क्या अब पर्यटन नगर लैंसडौन का नाम बदल जाएगा। दरसअल, लैंसडौन कैंट ने लैंसडौन का नाम बदलकर जसवंत गढ़ किए जाने संबंधी प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा है। जबकि, लैंसडौन वासी लंबे समय से कैंट एक्ट से छुटकारा पाने की मांग उठा रहे हैं।
पर्यटन नगर के रूप में देश-विदेश में पहचान बना चुके लैंसडौन का नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई है। कुछ दिन पूर्व तीन सदस्यीय तदर्थ बोर्ड ने लैंसडौन का नाम बदल कर जसवंत गढ़ किए जाने संबंधी प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय में भेजा है। जबकि, क्षेत्रीय जनता लंबे समय से कैंट एक्ट से छुटकारा पाने की मांग कर रही है। जनता हमेशा ही लैंसडौन का नाम बदले जाने के विरोध में रही है और यही स्थिति आज भी यथावत है। नगर का नाम बदलने की कोशिश इससे पूर्व भी कई बार हो चुकी हैं। लेकिन, जनविरोध के चलते यह कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाई। पर्यटन नगरी लैंसडौन का स्वरूप पूर्ण रूप से कैंट शासित है। यही कारण है कि नगर में विकास का पहिया चलने से पहले ही जाम पड़ा है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे कैंट बोर्ड की कमर बजट कटौती के चलते पूरी तरह टूट चुकी है। विभाग में तैनात नियमित कर्मचारियों समेत संविदा कर्मचारियों को जहां वेतन तक देने के लाले पड़े हुए है। वहीं, विकास योजनाएं फाइलों में ही दम तोड़ रही हैं। नगर की टूटी सड़कें कैंट बोर्ड की स्थिति बयां करती हैं। बीते कुछ वर्षों में कोई बड़ी योजना शुरू करना तो दूर, शासन से बजट जारी होने के बावजूद लैंसडौन में पार्किंग की कैंट एक्ट की भेंट चढ़ गई। कैंट एक्ट की बाशिंदों ने लैंसडौन में पयालन को भी बढ़ावा दिया। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि नाम बदलने से लैंसडौन का पुराना वैभव कैसे लौटेगा?
नाम बदलने से पहचान पर संकट
लैंसडौन का नाम पर्यटन के क्षेत्र में राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी विख्यात है। यदि लैंसडौन का नाम बदला गया तो पर्यटन के क्षेत्र में लैंसडौन की पहचान पर संकट छा सकता है। लैंसडौन वासियों की माने तो लैंसडौन का नाम बदलने से पर्यटकों में भ्रम की स्थिति पैदा होगी, जिसका सीधा असर पर्यटन पर पड़ेगा।
पूर्व में भी हो चुके हैं नाम बदलने के प्रयास
लैंसडौन नगर का नाम बदलने के प्रयास पूर्व में भी हो चुके हैं। इससे पूर्व लैंसडौन का नाम बदलकर इसका पौराणिक नाम कालौडांडा करने की मांग ने भी जोर पकड़ा। इसे लेकर राज्य सरकार से लेकर केंंद्र सरकार तक प्रस्ताव भेजे गए। जबकि हाल ही में सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी के नाम पर भी लैंसडौन का नाम रखने की कवायद की गई। लेकिन हर बार जनविरोध के चलते सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े।