असंतुष्टों को साधने के लिए कांग्रेस में होंगे कुछ अहम फैसले
नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के बढ़े दबाव के मद्देनजर पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में कुछ जरूरी बदलावों के विकल्पों पर अंदरूनी मंथन शुरू हो गया है। पांच राज्यों की चुनावी हार के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआइसीसी) की मौजूदा संगठनात्मक खामियों को लेकर असंतुष्ट नेताओं के जी-23 ने पार्टी नेतृत्व के समक्ष कई गंभीर सवाल उठाए हैं और इन्हें दुरुस्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग रखी है। इसके मद्देनजर ही पार्टी के प्रस्तावित चिंतन शिविर से पहले संगठनात्मक पुनर्गठन से जुड़े कुछ अहम फैसले लिए जाने की संभावना है।
पार्टी के संगठन चुनाव की शुरू हो चुकी प्रक्रिया के बीच आवश्यक बदलाव के विकल्पों पर मंत्रणा शुरू होने से संकेत साफ हैं कि कांग्रेस नेतृत्व तात्कालिक चुनौती से निपटने के लिए सबसे पहले असंतुष्ट खेमे को साधना चाहता है।
सूत्रों का कहना है कि इस दिशा में सबसे अहम कदम के तौर पर वरिष्ठ नेताओं की एक राजनीतिक समिति के गठन का फैसला संभव है, जिसमें असंतुष्ट नेताओं की भागीदारी भी होगी। पार्टी के बड़े और नीतिगत मामलों में यह समिति कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देगी। इस समिति का स्वरूप कुछ वैसा ही हो सकता है जैसा जी-23 ने कांग्रेस अध्यक्ष को अगस्त, 2020 में लिखे अपने पत्र में मांग की थी। सूत्रों का यह भी कहना है कि पार्टी की मौजूदा चुनौतियों से उबरने के लिए प्रस्तावित चिंतन शिविर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण समितियों में भी असंतुष्ट खेमे के नेताओं को जगह दी जाएगी। कांग्रेस को संकट के दौर से निकालकर भविष्य में राजनीतिक वापसी का रोडमैप तैयार करने के लिए चिंतन शिविर को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में हाईकमान पार्टी में असंतोष के लंबे दौर पर अब विराम लगाना चाहता है।
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जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद की शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मुलाकात में पार्टी में उठापटक खत्म करने को लेकर ठोस और सकारात्मक बातचीत हुई। इसके बाद से ही अब पार्टी में संगठनात्मक स्तर पर कुछ अहम बदलावों की अंदरूनी चर्चाएं चल रही हैं।
चिंतन शिविर संसद के बजट सत्र के तत्काल बाद अप्रैल मध्य में बुलाया जाना प्रस्तावित है। इसका एजेंडा तय करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक मार्च के आखिर में बुलाए जाने की संभावना है। इसीलिए संभावना जताई जा रही है कि कार्यसमिति की इस बैठक से पूर्व संगठन के पुनर्गठन से जुड़े कुछ अहम फैसलों का एलान संभव है जिसके जरिये असंतुष्ट खेमे के नेताओं को साधा जा सके।