बेटे ने किया एक्सीडेंट, अब पिता भरेंगे हर्जाना

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देहरादून। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने नाबालिग के वाहन चलाते हुए एक व्यक्ति को टक्कर मारने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मामला 27 जून 2018 को हुई एक दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें नाबालिग ने स्कूटर चलाते हुए याचिकाकर्ता को टक्कर मार दी थी। जिला जज प्रेम सिंह खिमाल ने पीड़ित को 1,82,328 रुपये का मुआवजा याचिका की तिथि से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया है।
अभय जोशी निवासी मोहितनगर ने न्यायालय मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (जिला जज) के यहां वर्ष 2021 में अपील की। अपील में कहा कि 27 जून 2018 को शाम साढ़े छह बजे के आसपास वह घर से महारानी बाग रोड, बल्लूपुर चौक की ओर टहलने निकले। तभी पीछे से आए स्कूटर सवार ने टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में उन्हें गंभीर चोटें आईं। उनका घुटना बुरी तरह फ्रेक्चर हुआ। इलाज में कुल 1,70,328 रुपये खर्च हुए। वह निवेशक का काम करते थे,जो दुर्घटना के कारण चौपट हो गया। उन्होंने 44,10,328 रुपये के मुआवजे की मांग की।
मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के जिला न्यायाधीश प्रेम सिंह खिमाल ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि वाहन किशोर के पिता विनोद निवासी कौलागढ़ के नाम था। उन्होंने नियमों को दरकिनार कर बेटे को वाहन चलाने के लिए सड़क पर भेजा। कोर्ट ने आदेश में कहा कि व्यक्ति अपनी आय का दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए। इसलिए उन्हें उपचार व्यय, परिवहन और मानसिक कष्ट के रूप में कुल 1.82 लाख रुपये मिलेंगे।
कोर्ट ने अपने फैसले में नाबालिग को वाहन सौंपने को गंभीर लापरवाही पर जोर दिया। इसे सड़क सुरक्षा के लिए खतरा बताया। यह फैसला न केवल पीड़ित को न्याय देता है,बल्कि वाहन मालिकों को यह चेतावनी भी देता है कि नाबालिग को वाहन सौंपने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वाहन नाबालिग चला रहा था,इसलिए बीमा कंपनी के बजाए रकम भी वाहन मालिक को चुकानी पड़ रही है।
अभिभावक को सजा तक का है प्रावधान: यदि कोई नाबालिग वाहन चलाते पकड़ा जाता है,तो वाहन मालिक या अभिभावक को मोटर वाहन अधिनियम के तहत 3 साल तक की जेल और 25,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। नाबालिग के वाहन चलाने पर वाहन का पंजीकरण 12 महीने के लिए रद्द किया जा सकता है। नाबालिग को 25 वर्ष की आयु तक ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

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