सोनिया गांधी बोलीं- सरकार नेहरू को इतिहास से मिटाना चाहती है, अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे

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नईदिल्ली, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा कि भाजपा का मुख्य उद्देश्य जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करना है। उन्होंने भाजपा पर भारत के पहले प्रधानमंत्री को अपमानित, विकृत और बदनाम करने का आरोप लगाया। सोनिया ने कहा कि नेहरू के योगदान का विश्लेषण और आलोचना स्वागत योग्य है, लेकिन उनके लेखन और कथनों के साथ जानबूझकर की गई शरारत अस्वीकार्य है। उन्होंने ये बातें दिल्ली में जवाहर भवन में नेहरू केंद्र के उद्घाटन समारोह के दौरान कही।
सोनिया ने कहा, इसमें कोई शक नहीं है कि नेहरू को बदनाम करना सत्ता का मुख्य मकसद है। वह नेहरू को सिर्फ इतिहास से मिटाना नहीं चाहती, बल्कि उनकी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक आधारों को कमजोर करना चाहती है, जिन पर देश खड़ा हुआ। नेहरू का व्यक्तित्व छोटा करने की कोशिश जारी है। उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि अलग रखकर काम का आकलन करना आम होता जा रहा है। उनकी बहुमुखी विरासत खत्म कर दोबारा इतिहास लिखने की कोशिश हो रही है।
सोनिया ने कहा, वे लोग नेहरू को निशाना बना रहे हैं जिनका भारत की आज़ादी की लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं था। ऐसी विचारधारा ने कभी संविधान निर्माण में योगदान नहीं दिया और यहां तक कि संविधान की प्रतियां भी जलाईं। यही विचारधारा नफरत फैलाती है और महात्मा गांधी की हत्या के लिए माहौल तैयार करती है। आज भी इस विचारधारा के लोग गांधी के हत्यारों को सम्मान देते हैं। यह एक कट्टर और क्रूर सांप्रदायिक दृष्टिकोण वाली विचारधारा है।
-स्वतंत्रता संग्राम में नेहरू की भूमिका और स्वतंत्र भारत के शुरुआती कठिन दशकों में उनके नेतृत्व को कम दिखाने की कोशिश की जा रही है। -उनकी बहुआयामी विरासत को एकतरफा तरीके से नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। -नेहरू ने आधुनिक भारत की बुनियाद रखी। उन्होंने वैज्ञानिक सोच, तकनीकी क्षमता, बड़े उद्योग, योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था और धर्मनिरपेक्षता को आगे बढ़ाया। विज्ञान हो, विदेश नीति हो या लोकतांत्रिक ढांचा, हर जगह नेहरू की भूमिका आज भी दिखती है।
सोनिया के बयान को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि नेहरू बाबरी मस्जिद का निर्माण सरकारी पैसे से कराना चाहते थे। उन्होंने कहा था, जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद को जनता के पैसे से दोबारा बनवाना चाहते थे। अगर कोई उनके इस प्रस्ताव के खिलाफ था, तो वो सरदार पटेल थे। उन्होंने सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद बनवाने की इजाजत नहीं दी थी।
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