सर्वदलीय बैठक में सपा ने की मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग
नई दिल्ली , एजेंसी। मणिपुर में इन दिनों जातीय हिंसा रुक नहीं रही है, इसके मद्देनजर शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली संसद भवन में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें भाजपा, आप, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाग लिया।
सूत्रों ने जानकारी दी कि समाजवादी पार्टी ने सर्वदलीय बैठक में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग की। वहीं शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि पीएम मोदी को मणिपुर हिंसा को देखना चाहिए।
मणिपुर पर हुई सर्वदलिय बैठक के बाद आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि खुले मन से बात हुई हम सबने अपनी राय रखी। वहां की राजनीतिक नेतृत्व में (लोगों का) अविश्वास है और यह बात सारे विपक्षी दलों ने रखी। हमने कहा कि जो इंसान प्रशासन चला रहा है उसमें कोई विश्वास नहीं है। अगर आपको शांति बहाल करनी है तो आप ऐसे व्यक्ति के रहते नहीं कर सकते।
वहीं डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि हमने मणिपुर को लेकर अपनी चिंताएं रखी हैं। 100 लोग मारे गए हैं और करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। इस पर सबसे दुखद यह है कि प्रधानमंत्री ने इस पर एक शब्द तक नहीं कहा। वहां की स्थिति का अच्छे से पता लगाने के लिए एक सर्वदलीय दल को मणिपुर भेजना चाहिए। गृह मंत्री ने हमें आश्वासन दिया है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने अपनी पार्टी की तरफ मांग की है कि एक हफ्ते में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजा जाए। केंद्र सरकार ने अब तक इस मामले की अनदेखी की है। अगर वहां शांति और सद्भाव बहाल करना है तो इस मामले पर ध्यान देना होगा। मणिपुर एक खतरनाक स्थिति में है और केंद्र सरकार बुरी तरह विफल रही है।
सर्वदलीय बैठक में मौजूद रहे मणिपुर के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि जब मैंने अपने सुझाव देना शुरू किया, तो मुझे लगता है कि गृह मंत्री अमित शाह सुनना नहीं चाहते थे। मैंने यह भी कहा कि इसे मुद्दे पर राजनीति करने का समय नहीं है क्योंकि राज्य में सामान्य स्थिति लाने की जरूरत है।
मणिपुर पर हुई सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 2001 में जून के महीने में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब मणिपुर जल रहा था। उसके बाद मणिपुर अमन, शांति और विकास के रास्ते पर लौट आया उसका प्रमुख कारण था इबोबी सिंह(मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री) ने 15 साल वहां स्थिर सरकार दी। तीन मई से हम मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री इसपर कुछ बोलें।
आगे उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि सर्वदलीय बैठक इंफाल में होती जिससे एक संदेश जाता कि मणिपुर की पीड़ा देश की पीड़ा है। वहां अलग-अलग मिलिटेंट ग्रुप हैं जिनके पास हथियार हैं। हमारी मांग है कि बिना किसी भेदभाव के सारे मिलिटेंट ग्रुप से हथियार वापस लिए जाएं। जब तक एन. बीरेन सिंह मुख्यमंत्री रहेंगे तब तक मणिपुर में परिवर्तन की संभावना नहीं है, उनसे इस्तीफा लेना चाहिए। मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकारा है कि मैं स्थिति को संभाल नहीं पाया, ऐसे हालात में उनका मुख्यमंत्री रहना नामुमकिन है।
सीपीआई ने शनिवार को मणिपुर की स्थिति पर सर्वदलीय बैठक में पार्टी को आमंत्रित नहीं किए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह गृह मंत्री के संवेदनहीन रवैये को दिखाता है। सीपीआई महासचिव डी राजा ने एक ट्वीट में कहा कि सीपीआई एक मान्यता प्राप्त है पार्टी है जो मणिपुर में शांति निर्माण और सद्भाव में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
सर्वदलीय बैठक पर भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रतिनिधि भेजे थे। सभी राजनीतिक दलों ने अपने विषयों को सकारात्मक तरीके से रखा। सभी प्रतिनिधियों को सुनने के बाद गृह मंत्री ने विपक्षी दलों के सुझावों पर चर्चा करने का आश्वासन दिया है। सभी राजनीतिक दलों के मौजूद प्रतिनिधि मंडल ने भी माना कि आज से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई गृह मंत्री तीन दिन दंगे वाली जगह बिताकर आया हो।