बागेश्वर। अपनी पुरानी परंपरा को निभाते हुए सतराली क्षेत्र के सात गांव के होल्यार बुधवार को बाबा बागनाथ के दर पर पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने मंदिर में बने मठ में अबीर-गुलाल उड़ाया। इसके बाद ढोलक और मजीरे की थाप पर होली गायन शुरू किया। यहां पहुंचने पर बागनाथ मंदिर समिति तथा स्थानीय लोगों ने होल्यारों का टीका लगाकार स्वागत किया। सतराली क्षेत्र के थापला, पनेरगांव, खाड़ी, ताकुला, झड़कोट, लोहना, कोतालगांव के होल्यार बुधवार एक बजे मंदिर पहुंचे। होल्यारों ने सबसे पहले शंभू तुम क्यों न खेलो होरी… गाई। उसके बाद सिद्धी को दाता विघ्न विनाशन, होली खेलें गिरीजा पतिनंदन होली का गायन किया। होली गायन शुरू होते ही स्थानीय लोग भी उनके साथ गायन में जुट गए और दो घंटे तक उन्होंने होली गायन किया। होली गायन शुरू होते ही बाबा बागनाथ की नगरी होली के रंग में रंग गई। सैकड़ों की संख्या में लोग बानाथ मंदिर में जुटे रहे। ग्रामीणों का कहना है कि वह शिवरात्रि से खड़ी होली का गायन शुरू करते हैं। होली एकादशी पर रंग की होली शुरू हो जाती है। वहां के होल्यार सात गांवों में जाकर होली गायन करते हैं। इस मौके पर धरम सिंह, ललित पंत, मनीष सुयाल, चंद्र शेखर लोहनी, भुवन चंद्र लोहनी, नवीन लोहनी, ललित मोहन कांडपाल, मनोज लोहनी, देवीदत्त कांडपाल, नंदा बल्लभ जोशी, सोनू कर्नाटक आदि मौजूद रहे।
एक महीने से कर रहे कार्यक्रम की तैयारी
यहां पहुंचे सतराली के होल्यारों ने बताया कि शिवरात्रि पर बागेश्वर आने के लिए वह एक महीने से तैयारी कर रहे थे। इसमें शामिल होने के लिए प्रवासी भी आते हैं। इतना ही नहीं फेसबुक, ह्वाट्सएप तथा अन्य माध्यमों से महानगरों में बैठे क्षेत्र के लेागों को यह कार्यक्रम दिखाया जाता है। इसके लिए उनके कई युवा तो आईटी सेक्टर से जुड़े हैं, वह काफी मदद करते हैं।
सात गांव के ढोल बजे एक साथ
बागनाथ मंदिर में एक साथ जब सात गांव के होल्यारों ने एक साथ ढोल बजाया तो समूचा क्षेत्र इससे गुंजायमान हो गया। जो होली गायन का आकर्षण का केंद्र रहा। होली सुनने आए लोगों ने इसे अपने मोबाइलों तथा कैमरों में कैद किया।