राज्य आंदोलनकारियों ने किया सीएम आवास कूच, पुलिस ने रोका

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देहरादून(। उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद से जुड़े आंदोलनकारियों और विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को सीएम आवास कूच किया। इस दौरान उन्होंने चिन्हीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं होने को लेकर नाराजगी जताई। वक्ताओं ने सरकार पर निशाना साधा। कूच कर रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने दिलाराम चौक पर आगे जाने से रोक दिया। ज्ञापन लेने के लिए पहुंचे एसडीएम ने दो दिन बाद वार्ता करवाने का आश्वासन दिया तो सभी वापस लौट गए। राज्य आंदोलनकारी, विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी, राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता बहल चौक से आगे एकत्रित हुए। यहां वक्ताओं ने कई ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। साथ ही छूटे हुए आंदोलनकारियों को चिन्हित करने की प्रक्रिया पूरी नहीं होने को लेकर नाराजगी जताई। कुछ देर बाद हाथ में बैनर लेकर सभी एकत्रित लोग सीएम आवास की ओर कूच करने के लिए आगे बढ़े। लेकिन पुलिस ने उन्हें दिलाराम चौक पर आगे जाने से रोक दिया। ज्ञापन लेने के लिए मौके पर पहुंचे उपजिलाधिकारी प्रेमलाल ने आक्रोशित राज्य आंदोलनकारियों को दो दिन बाद शासन से वार्ता करवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी देते हुए सभी वापस लौट गए और कूच को स्थगित कर दिया। इस दौरान नवनीत गुसाईं, इन्दु नौडियाल, प्रमिला रावत, अनंत आकाश, चिंतन सकलानी, राजकुमार जैसवाल, राजेश शर्मा, अमित परमार, राजेन्द्र पुरोहित, मनोज भट्ट, मौहम्मद इकबाल, मुकेश मोघा, सुरेश डंगवाल, पारूल बिष्ट, जयबीर सिंह, अम्बुज शर्मा, सुरेश कुमार, जगमोहन रावत, सुभागा फरस्वाण, सुशील घिल्डियाल, पारूल बिष्ट, विकास रावत, दुर्गा ध्यानी रतूड़ी, विकास रावत, आनन्द सिंह बिष्ट, बिन्दा मिश्रा, कुसुम नौडियाल, शाकुम्बरी रावत आदि ने विचार व्यक्त किए। ये मांगें उठाई – चिन्हीकरण के लंबित प्रकरणों, जिनमें बुजुर्ग महिलाओं के कई प्रकरण शामिल हैं। उनका जल्द निस्तारण किया जाए। – शहीद स्मारक देहरादून का सौंदर्यीकरण व विस्तारीकरण पहाड़ी शैली में किया जाए। – ऋषिकेश एक प्रमुख पर्यटक स्थल होने के कारण ऋषिकेश के शहीद स्मारक का गरिमा के अनुरूप निर्माण किया जाए। – 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ सभी आंदोलनकारियों के लिए सुनिश्चित किया जाए और 26अगस्त 2013 के आदेश पर रोके गए सफल घोषित अभ्यर्थियों की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से की जाए। – आंदोलनकारी सम्मान पेंशन को सम्मानजनक रूप से बढ़ाया जाए।

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