रुद्रप्रयाग । अब 50 वर्ष से अधिक उम्र के श्रद्घालु स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही केदारनाथ जा सकेंगे। धाम में हृदयगति रुकने से हो रही मौतों को देखते हुए प्रशासन ने यह कदम उठाया है। सोनप्रयाग में ऐसे श्रद्घालुओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। शुक्रवार को स्वास्थ्य परीक्षण में चार श्रद्घालु अनफिट मिले, जिन्हें केदारनाथ नहीं जाने दिया गया।
केदारनाथ धाम में हृदयगति रुकने से अब तक दस श्रद्घालुओं की मौत हो चुकी है। इसी को देखते हुए 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले श्रद्घालुओं की जांच को स्वास्थ्य विभाग ने सोनप्रयाग चार टीम तैनात की हैं। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के श्रद्घालुओं का अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। बताया कि पड़ाव पर श्रद्घालुओं को स्वास्थ्य संबंधी जरूरी जानकारियां भी दी जा रही हैं।
जिलाधिकारी ने बताया कि कई श्रद्घालु बिना गर्म कपड़ों के ही केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं और वहां हाइपोथर्मिया का शिकार हो जा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह श्रद्घालुओं को केदारपुरी के मौसम की बारे में सही जानकारी न होना है। इसके अलावा बीमार बुजुर्ग भी केदारनाथ पहुंच रहे हैं, जिनके स्वास्थ्य की जांच जरूरी है।
केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग पर सभी व्यवस्थाओं की मानीटरिंग स्वयं रुद्रप्रयाग डीएम मयूर दीक्षित कर रहे हैं। वीआइपी दर्शनों पर रोक के बाद मंदिर परिसर में दर्शनों की व्यवस्था में काफी सुधार आ गया है। आसानी से आम भक्त दर्शन कर रहे हैं। जबकि धाम में 75 शौचालय और स्थापित किए जा चुके हैं। पैदल मार्ग पर भी सफाई व्यवस्था के लिए 200 सफाई कर्मी बढ़ा दिए गए हैं।
रोजाना 18 हजार से अधिक यात्री केदारनाथ बाबा के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। जिससे व्यवस्थाएं सुचारू रखने में प्रशासन को काफी पसीना बहाना पड़ रहा है। जिलाधिकारी प्रत्येक घंटे यात्रा से जुड़े अधिकारियों से अपडेट ले रहे हैं। जबकि केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग पर लाइव अपडेट ले रहे हैं। भीड़ बढने से सबसे अधिक परेशानी दर्शनों को लेकर हो रही थी। जिलाधिकारी ने गुरुवार से वीआइपी दर्शनों पर रोक लगा दी।
इसके बाद धाम में शुक्रवार को मंदिर परिसर में यात्रियों ने व्यवस्थित रूप से दर्शन किए। दर्शनों को लगी भीड़ भी अब नियंत्रित है। धक्का मुक्की नहीं हो रही है। वीआइपी गेट पर पूरी तरह बैरिकेडिंग लगा दी गई है। पैदल मार्ग पर पेयजल की दिक्कत ना हो इसके लिए जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह को धाम में ही र्केप करने के निर्देश दिए गए हैं। पैदल मार्ग पर सुचारू रूप से पानी की आपूर्ति हो रही है।
सभी घोड़े-खच्चरों व उनके स्वामियों तथा हाकरों को अनिवार्य रूप से जिला पंचायत में रजिस्ट्रेशन करवाने के निर्देश भी दिए है। वर्तमान में केदारनाथ यात्रा में 8516 घोड़े-खच्चरों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जबकि 500 घोड़ा-खच्चर संचालकों (हाकर) का भी पंजीकरण हुआ है। साथ ही 2200 डंडी-कंडी का रजिस्ट्रेशन हुआ है।
वहीं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने जिला पूर्ति अधिकारी को एक सप्ताह तक केदारनाथ में ही र्केप करने के निर्देश दिए हैं, यात्रियों को गुणवत्ता युक्त भोजन मिले इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यात्रा व्यवस्था से जुड़े सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि यदि लापरवाही बरती गई तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
बदरीनाथ धाम में इस बार दर्शनों को लेकर वन-वे सिस्टम लागू किया गया है। दर्शन के बाद वीआइपी सहित सभी यात्रियों की वापसी अलग-अलग रास्तों से होगी। इससे यात्रियों की दर्शनों की लाइन बाधित नहीं होगी। बदरीनाथ धाम में वीआइपी या फिर विशेष पूजा करने वालों के लिए गुजराती धर्मशाला के सामने से यात्रियों की दर्शनों की लाइन रोककर आवाजाही कराई जाती है। इस पर सिंहद्वार से दर्शन के लिए लाइन पर लगे श्रद्घालु एतराज भी करते हैं।
विशिष्टि (वीआइपी) व अतिविशिष्ट (वीवीआइपी) के आवागमन के दौरान श्रद्घालुओं की लाइन रोकनी पड़ती थी। अब श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने विशेष पूजा व वीआइपी के लिए वीवीआइपी गेस्ट हाउस से सीधे मंदिर के वीआइपी गेट के पास तक ओवर ब्रिज बनाया है। इसे पूरी तरह से बंद करने से वीआइपी व अन्य की आवाजाही के दौरान आम श्रद्घालुओं को दिक्कत भी नहीं हो रही है।
इसके अलावा आम श्रद्घालुओं को मंदिर में दर्शनों के बाद वापसी के दौरान पुराने रास्ते से ही वापस लाया जा रहा है। यहां पर आम श्रद्घालुओं की लाइन को ओवर ब्रिज के जरिये भेजा जा रहा है। इससे किसी की भी आवाजाही में श्रद्घालुओं की लाइन को रोकने से निजात मिली है। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सीइओ बीडी सिंह ने बताया कि यात्री सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यात्रियों के दर्शन लाइन, वापसी रास्ता व वीआइपी रास्तों को अलग किए जाने से श्रद्घालुओं को सहूलियत हुई है। उन्होंने कहा कि यात्री सुविधाओं को लेकर मंदिर समिति तत्पर है।