स्टोन क्रशरों को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से पूछा-प्रदेश में कितने अवैध संचालित हो रहे
नैनीताल। हाईकोर्ट ने स्टोन क्रेशरों के मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से राज्य में स्थापित सभी स्टोन क्रेशरों के बारे में व्यापक जानकारी देने को कहा है। न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि प्रदेश में कितने स्टोन क्रेशर हैं और इनमें से किनते अवैध हैं। इस मामले में आगामी 08 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में ने ये निर्देश बाजपुर निवासी त्रिलोक चंद्र की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिये हैं। याचिकाकर्ता की याचिका दायर कर कहा गया था कि प्रदेश में अधिकांश स्टोन क्रेशर मानकों के खिलाफ चल रहे हैं और इनसे भारी प्रदूषण हो रहा है। ऐसे स्टोन क्रेशरों को बंद किया जाये। इससे अवैध खनन पर भी रोक लगेगी। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी मांग की गयी थी कि प्रदेश में एक स्टोन क्रेशर जोन बनाया जाये और सभी स्टोन क्रेशर एक ही जोन में स्थापित किये जायें।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एसआरएस गिल ने बताया कि अदालत ने जनहित याचिका का दायरा व्यापक करते हुए सरकार व पीसीबी को निर्देश दिया है कि वह बताये कि प्रदेश के कितने स्टोन क्रेशर उपलब्ध हैं तथा वे किस नीति के तहत स्थापित हुए हैं। अदालत ने यह भी पूछा है कि कितने स्टोन क्रेशर मानकों का पालन करते हैं और कितने अवैध ढंग से संचालित हो रहे हैं। पीठ ने रजिस्ट्री को भी निर्देशित किया है कि स्टोन क्रेशरों से संबंधित सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्घ कर अगले तिथि को सुनवाई के लिये पेश किया जाए। इस मामले में आठ अक्टूबर को सुनवाई होगी।
आईएफएस अशोक गुप्ता का निलंबन आदेश हाईकोर्ट ने किया निरस्त
नैनीताल। हाईकोर्ट ने वित्तीय, प्रसाशनिक व अन्य गंभीर आरोपों में निलंबित किए गए आईएफएस व चम्पावत के पूर्व डीएफओ अशोक कुमार गुप्ता का निलंबन आदेश निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि सरकार चाहे तो नियमानुसार नया निलंबन आदेश जारी कर सकती है।
आईएफएस गुप्ता का 2017 में लेनदेन के मामले का अडियो वायरल हुआ था। गुप्ता के भ्रष्टाचार, वित्तीय, प्रसाशनिक व अनियमितता की वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी द्वारा जांच की गई तो आरोप सही पाए गए। इसी साल सात फरवरी को प्रमुख सचिव वन आनंद वर्धन द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार पर गुप्ता को निलंबित कर दिया था। गुप्ता ने एक माह में आरोप पत्र नहीं मिला तो बहाली के लिए प्रत्यावेदन दिया, जब बहाल नहीं किया तो अगस्त में हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा तो सरकार द्वारा बताया गया कि गुप्ता को अखिल भारतीय अनुशासन व अपील नियमावली 1969 के प्रावधान 3(3) के तहत निलंबित किया गया है । जबकि प्रमुख सचिव के आदेश में नियमावली के प्रावधान 3(1) के तहत कार्रवाई का उल्लेख था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद निलंबन आदेश निरस्त कर दिया।