जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : परमार्थ वैदिक गुरुकुल, कण्वाश्रम में आयोजित दस दिवसीय सरल संस्कृत सम्भाषण शिविर का मंगलवार को समापन हो गया है। छात्रों को सरल पद्धति से संस्कृत सिखाने के उद्देश्य से यह शिविर संस्कृत भारती एवं परमार्थ वैदिक गुरुकुल कण्वाश्रम के संयुक्त तत्वावधान में कण्वाश्रम में ही आयोजित किया गया।
समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेनि. प्रधानाचार्य डा. रमाकान्त कुकरेती ने कहा कि किताबों से हमें सालभर के पाठ्यक्रम को पढ़कर सीखना होता है, लेकिन संस्कृत भारती के शिविरों में हम मात्र दस दिन में दो घण्टा यानि बीस घण्टे में संस्कृत सीख सकते हैं। अम्बेश पंत ने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम संस्कृत को समाज तक पहुंचाये। वक्ताओं ने कहा कि संस्कृत ही संस्कृति की मूल है। कण्वाश्रम की संस्कृति विश्वविख्यात रही है यह खुशी की बात है कि आज भी कण्वाश्रम में संस्कृत जीवित है। मुख्य अतिथि मनमोहन काला ने कहा कि संस्कृत भारती दुनिया भर में 10 दिवसीय संस्कृत संवाद शिविर आयोजित करती है, जिससे इस भाषा को प्रारंभिक स्तर के लोगों के लिए सरल बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त संस्कृत भारती की ओर से शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, गीता शिक्षण केंद्र, बच्चों के लिए बालकेंद्र और संभाषण संदेश पत्रिका का प्रकाशन भी करती है। कार्यक्रम में शिक्षक कुलदीप मैंदोला, गुरूकुल प्रधानाचार्य मनमोहन नौटियाल, योग शिक्षक राकेश कंडवाल, सिद्धार्थ नैथानी, प्रशांत जोशी, श्वेता रावत, सुदीप थपलियाल सहित गुरुकुल के सभी अध्यापक मौजूद रहे।