21 दिनों में ज्योतिषी बन जाएंगे छात्र

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नई टिहरी : केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के अनेक छात्र ज्योतिषी बनने की ओर हैं। ज्योतिष विभाग की ओर से आयोजित 21 दिवसीय कार्यशाला में सौ से अधिक छात्रों को जन्मकुण्डली निर्माण सहित पंचांग में तिथियां देखने, मुहूर्त का निर्धारण आदि की शिक्षा दी जा रही है। घटी-पल को घण्टा-मिनट में कैसे परिवर्तित करना है, यह भी उन्हें सिखाया जा रहा है। कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने इस वर्ष को विश्वविद्यालय का शिक्षा गुणोत्कर्ष वर्ष घोषित किया है। इसके तहत आयोजित कार्यशाला में सूर्योदय का निर्धारण, जन्म समय का सार्वभौमिक निर्धारण, जन्मांग चक्र निर्माण, षडवर्ग साधन तथा महादशा आदि साधन मुख्य विषय हैं। अगली कार्यशाला में फलादेश का विवेचन करना सिखाया जायेगा। कार्यशाला की शुरुआत करते प्रभारी निदेशक प्रो. चंद्रकला आर. कोंडी ने कहा कि, अपने भाग्य को लेकर हमारे समाज में हर व्यक्ति रुचि लेता और चिंतित रहता है। सनातन संस्कृति में जातक के ग्रहों का स्थान, स्थिति और दशा कुण्डली के माध्यम से पता चलती है। ग्रह दशा को ठीक करने के उपाय भी हैं। पौरोहित्य कर्म करने वाले हर व्यक्ति से ज्योतिष ज्ञान की अपेक्षा रहती है। कार्यशाला संयोजक डॉ. ब्रह्मानन्द मिश्रा ने कहा कि सभी संस्कारों के निर्धारण में हमें मुहूर्त की आवश्यकता होती जिसे हम ज्योतिष शास्त्र के द्वारा ही निकालते हैं। साथ ही ज्योतिष आजीविका का भी साधन है। एक अच्छा ज्योतिषी समाज में संकट मोचक की भूमिका निभाता है। निदेशक प्रो. पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि इस कार्यशाला में वह छात्र भी भाग ले रहे हैं, जिनका मुख्य विषय ज्योतिष नहीं है। कार्यशाला में डॉ. ब्रह्मानन्द मिश्रा, डॉ. सुरेश शर्मा, डॉ. आशुतोष तिवारी प्रशिक्षण दे रहे हैं। (एजेंसी)

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