सुको का आदेश, कोरोना के कारण जमानत पाए 2,674 कैदियों को करना होगा समर्पण

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नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के कारण ट्रायल कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत पर जेल से छूटे 2,318 विचाराधीन कैदियों को 15 दिन के भीतर जेल में समर्पण करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने उन 356 विचाराधीन कैदियों को भी 15 दिन में समर्पण करने का आदेश दिया है जिन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी।ये आदेश सोमवार को जस्टिस एल़ नागेश्वर राव और एस़ रविंद्र भट की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान दिए। इस मामले में गैरसरकारी संस्था नेशनल फोरम फार प्रिजन रिफाघ्र्म्स ने एक याचिका दाखिल कर दिल्ली हाई कोर्ट के पिछले साल अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के कारण दिए गए रोक आदेश और अंतरिम जमानत सिर्फ 31 अक्टूबर, 2020 तक ही जारी रहेंगे।
हाई कोर्ट ने कोरोना के कारण अंतरिम जमानत पाने वाले सभी कैदियों को चरणबद्घ तरीके से दो नवंबर से लेकर 13 नवंबर, 2020 तक समर्पण करने का आदेश दिया था। संगठन ने हाई कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि अभी कोरोना समाप्त नहीं हुआ है ऐसे में कैदियों को समर्पण करने का आदेश देना ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 29 अक्टूबर को संगठन की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।सोमवार को शीर्ष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोरोना महामारी के कारण जिन विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत मिली है उन्हें 15 मार्च तक जेल में समर्पण करना होगा। उसके बाद वे जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इससे पहले संगठन की ओर से पेश वकील अजय वर्मा का कहना था कि 15 मार्च से अदालतें नियमित रूप से खुलने वाली हैं ऐसे में कोर्ट उन्हें कुछ समय दे दे ताकि वे जमानत के लिए आवेदन कर सकें।
यह मामला जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का भी था जिसमें कोर्ट ने वकील गौरव अग्रवाल को न्यायमित्र नियुक्त कर रखा है। गौरव अग्रवाल ने जेलों में कैदियों की संख्या पर पूर्व में कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली की जेलों में करीब 17,000 कैदी हैं जबकि क्षमता 10,000 कैदियों की है। इस मामले में कोर्ट अप्रैल में फिर सुनवाई करेगा।

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