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बिल्किस बानो केस: दोषियों की रिहाई को चुनौती वाली याचिकाओं का निस्तारण दो मई को; सुप्रीम कोर्ट ने तय की तारीख

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नई दिल्ली , एजेंसी। बिल्किस बानो मामले में दोषियों को छूट पर मूल फाइलें मांगने के 27 मार्च के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर की जा सकती है। केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी। सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस मामले में क़ैद के दौरान दोषियों को पैरोल दिए जाने पर सवाल उठाया। साथ ही कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए राज्य द्वारा विचार किया जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दो मई को अंतिम निस्तारण के लिए सूचीबद्ध किया है।
गौरतलब है कि बिल्किस बानो ने पिछले साल 30 नवंबर को शीर्ष अदालत में राज्य सरकार द्वारा 11 लोगों को आजीवन कारावास से समय से पहले रिहाई को चुनौती दी थी। साथ ही यह भी कहा था कि इसने समाज की अंतरात्मा को हिला दिया है। वहीं, 4 जनवरी को जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने बानो द्वारा दायर याचिका और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की थी। हालांकि, न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने बिना कोई कारण बताए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका के साथ ही बिल्किस बानो ने 13 मई 2022 को दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी एक पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इसमें शीर्ष अदालत के 13 मई, 2022 को एक दोषी की याचिका पर दिए गए आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी। हालांकि समीक्षा याचिका को बाद में पिछले साल दिसंबर में खारिज कर दिया गया था।
13 मई 2022 को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने गुजरात सरकार को 9 जुलाई 1992 की उसकी नीति पर विचार करने को कहा था। इसके बाद ही 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने दोषियों को समय पूर्व रिहा करने का आदेश दिया था। बता दें कि 2002 के दंगों के दौरान बिल्किस बानो के परिवार के सात लोगों की हत्या भी कर दी गई थी।

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