के. ए. पॉल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन सट्टेबाज़ी ऐप्स को लेकर केंद्र को जारी किया नोटिस

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नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने आज ईसाई धर्म प्रचारक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. के. ए. पॉल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में उन्होंने देशभर में सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाज़ी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने या उनके संचालन पर सख्त नियम लागू करने की मांग की है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस पर अपना स्पष्ट रुख प्रस्तुत करना होगा।साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि ज़रूरत पड़ी तो आगे चलकर राज्यों को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाएगा। डॉ. पॉल, जो स्वयं कोर्ट में पेश हुए, ने कहा कि सट्टेबाज़ी ऐप्स न केवल युवाओं को कज़र् में डुबो रही हैं बल्कि कई परिवारों को बर्बाद कर रही हैं। उन्होंने तर्क दिया कि इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग संविधान के अनुच्छेद 21, यानी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि तेलंगाना सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1,000 से अधिक लोगों ने सट्टेबाज़ी से जुड़े कज़र् के कारण आत्महत्या की है। डॉ. पॉल ने कहा कि देशभर में लगभग 30 करोड़ लोग इन ऐप्स के निशाने पर हैं, और इनका प्रचार बड़े स्तर पर सेलेब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 23 मार्च 2025 को तेलंगाना पुलिस ने 25 बॉलीवुड कलाकारों और इन्फ्लुएंसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि 1,100 से अधिक सेलेब्रिटी, जिनमें क्रिकेटर भी शामिल हैं, इन ऐप्स का प्रचार अब भी कर रहे हैं। यह सिर्फ हमारे युवाओं का नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र का भविष्य है। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार अब और देर नहीं करेगी।

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