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सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 12 को, यूपी सरकार को देना होगा तीन मुद्दों पर हलफनामा

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लखनऊ , एजेंसी । हाथरस के बूलगढ़ी गांव में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म तथा हत्या के मामले में रात में अंतिम संस्कार कराने के मामले उत्तर प्रदेश सरकार के जवाब देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से तीन अन्य मुद्दों पर भी हलफनामा मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।
हाथरस कांड पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अपना पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट में हाथरस दुष्कर्म और हत्या की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग की जनहित याचिका पर सुनवाई थी। कोर्ट के 29 सितंबर देर रात मृत युवती के अंतिम संस्कार करने के मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सफाई दी। हाथरस जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में दावा किया है कि जिला को बड़ी हिंसा से बचाने के लिए मृत युवती के माता-पिता को रात में अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया। जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि वहां पर लाखों लोग एकत्र होंगे, जिससे बड़े बवाल की संभावना थी। यह लोग वहां पर इस प्रकरण को जाति के साथ सांप्रदायिक रंग दे सकते थे।
अब सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने गवाहों और परिवार की सुरक्षा पर उत्तर प्रदेश सरकार से हलफनामा मांगा है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी। हाथरस गैंगरेप केस में अलग-अलग याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन मुद्दों- गवाहों और परिवार की सुरक्षा, पीड़ित परिवार के पास वकील है कि नहीं और इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस केस का स्टेट्स क्या है। इस पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस अफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े ने इस केस को शकिंग केस बताया। सुनवाई के दौरान याचिककर्ता के वकील की ओर से कोर्ट की निगरानी में जांच की बात कही गई। इस पर सीजेआई ने पूछा कि आप इलाहाबाद हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। सुनवाई की शुरुआत यूपी सरकार की ओर से दलील रख रहे सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने की। उन्होंने कहा कि हम इस याचिका का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन समाज में जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा है, हम उसके बारे में सच सामने लाना चाहते हैं। इस केस की पुलिस और एसआईटी जांच चल रही है। इसके बावजूद हमने सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
इसके बाद सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा सुप्रीम कोर्ट इसे मनीटर करे और सीबीआई जांच हो। इस पर याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पीड़ित परिवार सीबीआई जांच से संतुष्ट नहीं है, वो कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच चाहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपकी मांग जांच को ट्रांसफर करने की है या फिर ट्रायल को ट्रांसफर करने की है। सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि यह घटना बहुत ही असाधारण और चौंकाने वाली है। इसी कारण हम आपको सुन रहे हैं, लेकिन अन्यथा हमें यह भी नहीं पता है कि आप लोकस हैं या नहीं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह चौंकाने वाला मामला नहीं है या कि हम मामले में आपकी भागीदारी की सराहना नहीं करते हैं, लेकिन कहना चाहते हैं कि याचिकाकर्ता का लोकस नहीं है। इसके बाद दलील रखते हुए वकील कीर्ति सिंह ने कहा कि मैं कोर्ट की महिला वकीलों की तरफ से बोल रही हूं। हमने दुष्कर्म से जुड़े कानून पर काफी अध्यययन किया है। यह एक झकझोरने वाली घटना हुई है। सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हर कोई कह रहा है कि घटना झकझोरने वाली है, हम भी यह मानते हैं। तभी आपको सुन रहे हैं, लेकिन आप इलाहाबाद हाई कोर्ट क्यों नहीं गईं। सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा क्यों न इस मामले की सुनवाई पहले हाई कोर्ट करे, जो बहस यहां हो सकती है, वही हाई कोर्ट में भी हो सकती है। क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हाई कोर्ट मामले की सुनवाई करे।
सभी दलीलों को सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि हम पीड़ित पक्ष और गवाहों की सुरक्षा के यूपी सरकार के बयान को दर्ज कर रहे हैं या आप हलफनामा दाखिल करें। इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि कल तक दाखिल कर देंगे। सीजेआई ने कहा कि ठीक है, आप गवाहों की सुरक्षा को लेकर इंतजामों पर और पीडितों की सुरक्षा के बारे में हलफनामे में पूरी जानकारी दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो सुनिश्चित करेगा कि हाथरस मामले की जांच सही तरीके से चले। अब मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी। इससे पहले यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार रात (29 सितंबर) में मृत युवती के अंतिम संस्कार करने के मामले पर अपनी सफाई दी। हाथरस जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में दावा किया है कि जिला को बड़ी हिंसा से बचाने के लिए मृत युवती के माता-पिता को रात में अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया। जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि वहां पर लाखों लोग एकत्र होंगे, जिससे बड़े बवाल की संभावना थी। यह लोग वहां पर इस प्रकरण को जाति के साथ सांप्रदायिक रंग दे सकते थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह हाथरस केस की सीबीआइ जांच की निगरानी करे। यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि हाथरस मामले के बहाने सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रनिक मीडिया पर यूपी सरकार को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।

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