सुप्रीम कोर्ट में याचिका: न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु में एकरूपता लाने की मांग
नई दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दाखिल कर उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की एक समान उम्र तय करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि अगर सेवानिवृत्ति उम्र में एकरूपता रहेगी तो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और आजादी से न्यायिक कार्य कर पाएंगे और उच्चतम न्यायालय जाने की कोई अपेक्षा भी नहीं रहेगी।
याचिका में कहा गया कि इससे उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के बीच अधीनस्थता की आशंका भी कम होगी, इसलिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की तरह होना चाहिए। बता दें कि वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल है, वहीं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 साल में सेवानिवृत्त होते हैं।
वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका में अदालतों के न्यायाधीशों के लिए अलग-अलग सेवानिवृत्ति की उम्र को अतार्किक बताया गया है। याचिका में सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर 65 साल करने का अनुरोध किया गया है। कहा गया है कि इससे कानून का शासन मजबूत होगा और अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त त्वरित न्याय का मौलिक अधिकार भी बना रहेगा।
अधिवक्ता अश्वनी कुमार दुबे के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है, न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र में एकरूपता से उच्च न्यायालय में अनुभवी न्यायाधीशों का समूह तैयार होगा जो कि अति महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला करने में काफी उपयोगी होगा। याचिका में कहा गया कि लंबित मामले निपटाने के लिए भी यह जरूरी है। इससे पीठ में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।