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भारतीय कंपनियों के इजरायल को हथियार निर्यात में दखल से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

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नई दिल्ली ,सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें गाजा के साथ चल रहे संघर्ष के बीच इजरायल को हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों के निर्यात के लिए विभिन्न भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने और नये लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संविधान के अनुसार रक्षा और विदेश मामलों का संचालन करने का अधिकार और अधिकार क्षेत्र केंद्र सरकार के पास है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 162 के अलावा संविधान के अनुच्छेद 253 के प्रावधान यह निर्धारित करते हैं कि संसद के पास किसी भी अंतर्राष्ट्रीय समझौते, सम्मेलन या संधि को लागू करने के लिए पूरे भारत संघ या उसके हिस्से के संबंध में कोई भी कानून बनाने की शक्ति है।
पीठ ने कहा, हम सरकार से यह नहीं कह सकते कि आप किसी देश को निर्यात नहीं करेंगे या आप किसी विशेष कंपनी को सैन्य उपकरण निर्यात करने वाली सभी कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर देंगे। यह राष्ट्रीय नीति का मामला है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि याचिका में मांगी गई निषेधाज्ञा राहत से अनिवार्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों और समझौतों का उल्लंघन होगा। उसने स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणियों का उद्देश्य केंद्र सरकार या किसी संप्रभु राष्ट्र द्वारा विदेश नीति के संचालन पर कोई राय देना नहीं है।
जनहित याचिका में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के एक हालिया फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें गाजा पट्टी में अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के उल्लंघन के लिए इजरायल के खिलाफ अनंतिम उपायों का आदेश दिया गया था।

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