नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह साफ कर दिया कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव कराने में अब और कोई रुकावट नहीं आ सकती. यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच के सामने आया.
बेंच ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग पहले ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर चुका है और खुद सुप्रीम कोर्ट भी स्पष्ट निर्देश दे चुका है. बेंच ने कहा कि वह चुनाव की समय-सारणी को पटरी से उतारने के लिए मामले में दखल नहीं देगी.
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि कानून के तहत चुनावी क्षेत्रों के बंटवारे को मंजूरी देने का अधिकार विशेष रूप से सिर्फ राज्य चुनाव आयोग के पास है. बेंच ने महाराष्ट्र में जिला परिषदों, पंचायत समितियों और अन्य स्थानीय निकायों के लिए परिसीमन (सीमा तय करने) की प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
बेंच ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों को रोकने के लिए किसी भी मुकदमेबाजी की अनुमति नहीं दी जाएगी. बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, हम किसी भी ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे जिससे चुनाव में देरी हो सके. ये सभी याचिकाएं चुनावों में देरी करने की एक चाल लगती हैं.
याचिकाकर्ता के वकील ने बेंच के सामने तर्क दिया कि अगर राज्य सरकार के अधिकारियों को मंजूरी देने का अधिकार सौंपा जाता है, तो यह स्वतंत्र और प्रभावी कामकाज सुनिश्चित करने की राज्य चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी का उल्लंघन होगा.
बेंच ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 30 सितंबर के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने उन मूल आदेशों को चुनौती नहीं दी थी जिनके माध्यम से राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने उपायुक्तों को यह काम करने के लिए अधिकृत किया था.
बेंच ने कहा कि चुनाव 31 जनवरी तक होने थे, जैसा कि उसने पहले निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराने में अब और कोई बाधा नहीं आ सकती. वह चुनाव में देरी के लिए किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगा. बेंच ने ये टिप्पणियां तब कीं जब उसने निखिल के कोलेकर की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारों के हस्तांतरण से जुड़े कानूनी सवाल को खुला रखने पर सहमति जताई, जिसकी जांच उचित मामले में की जा सकती है. याचिकाकर्ता ने अंतिम परिसीमन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा डिविजनल कमिश्नरों को अधिकार सौंपने को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने विस्तृत सामग्री पर विचार किया था और पाया था कि कोल्हापुर, सतारा और सांगली के लिए परिसीमन के संबंध में उपायुक्तों द्वारा लिए गए अंतिम निर्णयों में कोई गैरकानूनी बात नहीं थी. 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और उसके राज्य चुनाव आयोग को स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए कहा था.