नईदिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने की संभावना पर विशेष टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि अगर मसौदा सूची में बड़े पैमाने पर बहिष्कार होगा तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा। पीठ ने बिहार एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 12 अगस्त और 13 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि चुनाव आयोग का कहना है कि 65 लाख लोगों ने एसआईआर फॉर्म जमा नहीं किए हैं, ऐसे में उनके मरने या पलायन की संभावना है। भूषण ने कहा कि ऐसे लोगों को सूची में शामिल होने के लिए दोबारा से आवेदन करना होगा। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि चुनाव आयोग कानून के अनुसार काम करेगा और कोर्ट चिंताओं पर सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति बागची ने कहा, अगर कोई एसआईआर नहीं था, तो जनवरी 2025 की सूची शुरुआती बिंदु है। मसौदा सूची चुनाव आयोग प्रकाशित करेगा। आपकी आशंका है कि 65 लाख मतदाता इसमें शामिल नहीं होंगे। आयोग 2025 की प्रविष्टि के संबंध में सुधार की मांग कर रहे हैं। हम न्यायिक प्राधिकारी के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं। अगर बड़े पैमाने पर बहिष्कार हुआ, तो तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। 15 लोगों को लाकर बताओ कि वे जीवित हैं।
चुनाव आयोग बिहार एसआईआर को लेकर मसौदा सूची 1 अगस्त को प्रकाशित करेगा, जिसे रोकने का अनुरोध कोर्ट से किया गया था। सोमवार को मामले की सुनवाई में कोर्ट ने मसौदा सूची को रोकने से इंकार कर दिया और कहा कि ये केवल मसौदा सूची है और अगर कोई अवैधता पाई गई तो पूरी सूची रद्द कर दी जाएगी। कोर्ट ने चुनाव आयोग से एसआईआर में आधार कार्ड और वोटर- आईडी कार्ड को शामिल करने को कहा है।