भाजपा की हार में ही किसान-मजदूर की जीत है: सुरजेवाला
-2022में किसानों की आय तो दोगुनी हुई नहीं, दर्द सौ गुना जरूर हो गया
रुद्रपुर। रुद्रपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आजाद भारत के सबसे बड़े और लंबे चले किसान आंदोलन की राह में अहंकार के कील और कांटे बिछाने वाली भाजपा सरकार को अब वोट की चोट से जवाब देने का समय आ गया है। देश और उत्तराखंड की खेती को मुट्ठीभर पूंजीपतियों की ड्योढ़ी पर बेच डालने का षड़यंत्र करने वाली भाजपा सरकार को मेहनतकश अन्नदाता और गरीब मजदूर कभी माफ नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि मोदी-धामी सरकार 700 किसानों की शहादत की भी जिम्मेवार है और किसानों को देश के गृह राज्यमंत्री की गाड़ी से लखीमपुर खीरी में निर्ममता से रौंदवाने के लिए भी। उन्होंने कहा क्या धरती से सोना पैदा करने वाला कोई किसान और गरीब ऐसी षडयंत्रकारी भाजपा और उसके नेतृत्व को माफ कर सकता है? इसीलिए भाजपा की हार में ही किसान-मजदूर की जीत है।
सुरजेवाला ने कहा कि छह साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी, 2016 को बरेली, उत्तर प्रदेश की रैली में देश के किसानों से वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे। अब 2022 है, आय तो दोगुनी हुई नहीं, दर्द सौ गुना जरूर हो गया। छह साल बाद मोदी सरकार ने सितंबर, 2021 में एनएसएसओ की रिपोर्ट जारी कर बताया कि किसानों की औसत आय 27 रुपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज 74,000 प्रति किसान हो गया है। मई, 2014 में सत्ता में आते ही भाजपा व मोदी सरकार किसानों की जमीन हड़पने के लिए, उनके जमीन के उचित मुआवजा कानून के खिलाफ एक के बाद एक तीन अध्यादेश लेकर आई। फिर गेहूं एवं धान पर राज्य सरकारों द्वारा दिया जाने वाला 150 रुपये का बोनस बंद करा दिया। कहा कि भाजपा सरकार कंपनियों के मुनाफे की फसल बीमा योजना लाई। वहीं टैक्स पर टैक्स लगा खेती की लागत 25,000 हजार रुपये हेक्टेयर बढ़ाई। पूंजीपति दोस्तों के लिए खेती विरोधी तीन काले कानून लाए। सुरजेवाला ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय एनएसएसओ ने ग्रामीण भारत में षि परिवारों की स्थिति को लेकर सितंबर 2021 में जारी की गई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आमदनी बढ़ाने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने किसान को कर्ज में डुबो दिया है। भारत के 50़2 प्रतिशत किसान कर्ज में हैं। सुरजेवाला ने दावा किया कि मोदी सरकार ने अपनी रिपोर्ट में खुद इस बात का खुलासा किया है कि धान और गेहूं को छोड़कर कोई भी फसल एमएसपी पर 6 प्रतिशत से अधिक नहीं खरीदी जाती।