कोटद्वार-पौड़ी

सिस्टम बेपरवाह, बुद्धा पार्क बना असामाजिक तत्वों का अड्डा

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-कभी साज-सज्जा से चमकता था पार्क, आज है वीरान
-बुजुर्गों व अन्य लोगों के बैठने तक के लिए नहीं हैं यहां व्यवस्था
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम बनने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि विकास के मामले में कोटद्वार की तस्वीर ही बदल जाएगी। यहां साफ-सुथरे मौहल्ले और बच्चों के खेलने व बुजुर्गों की सैर के लिए खूबसूरत पार्क होंगे। हालांकि, अब जब कोटद्वार की हालत देखते हैं तो पता चलता है कि यह सब एक सपने से ज्यादा कुछ नहीं था। हालात यह हैं कि आज कोटद्वार में एक पार्क तक उपलब्ध नहीं हैं, जहां साफ-सुथरे माहौल में बच्चे खेल सकें और बुजुर्ग सुबह व शाम की सैर कर सकें। पूर्व में बदरीनाथ मार्ग पर बुद्धा पार्क को सजाया भी गया था, लेकिन आज यह पार्क भी सिस्टम की अनदेखी की मार झेल रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण यह पार्क अब असामाजिक तत्वों का अड्डा बनकर रह गया है। यहां सुबह-शाम नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है, जिससे शहर के लोग भी यहां आने से कतराते हैं।
बच्चों के विकास और बुजुर्गों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए शहर में कम से कम पार्क तो उपलब्ध होने ही चाहिए, जहां वह योग व अन्य व्यायाम कर सकें। वर्तमान में कहीं भी इतनी जगह नहीं बची है, जहां बच्चे खेल सकें। ऐसे में यह पार्क ही बच्चों के खेलने की जगह बनते हैं, लेकिन नगर निगम और शासन की अनदेखी के कारण कोटद्वार के लोगों को एक पार्क तक नसीब नहीं हो पा रहा है। ऐसा नहीं है कि कोटद्वार में पार्क नहीं हैं, लेकिन इनकी हालत इतनी दयनीय है कि कोई भी वहां जाना पसंद नहीं करता है। इन्हीं पार्कों में शामिल है बदरीनाथ मार्ग स्थित बुद्धा पार्क। यहां कुछ साल पहले ही सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया था। यहां नए झूलों के साथ ही बच्चों के खेलने के लिए कई उपकरण लगाए गए थे। इसके अलावा लोगों के बैठने के लिए भी कंक्रीट के बैंच बनाए गए थे। हालांकि, अनदेखी के चलते अब यह सब ध्वस्त हो चुके हैं। जिससे यहां आने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा बुद्धा पार्क असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन गया है, जिससे शहर के लोग अब इस पार्क में आने से डरने लगे हैं। कुछ ऐसी ही हालत नगर के अन्य पार्कों की भी बनी हुई है। कई बार स्थानीय लोग इस संबंध में शिकायत करते हैं, लेकिन नगर निगम प्रशासन समेत शासन सिर्फ झूठे आश्वासन के अलावा कोई कार्रवाई नहीं करते। जिससे अब लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

बिल्कुल नगर में कम से कम एक पार्क तो होना ही चाहिए। मैंने भी बुद्धा पार्क का निरीक्षण किया था। वहां की बदहाली को देखते हुए पिछले साल शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जिसके तहत उक्त पार्क में सौंदर्यीकरण के साथ ही नई कुर्सियां और शौचालय बनाया जाएगा। हालांकि, अब तक शासन ने बजट जारी नहीं किया है। जैसे ही बजट जारी होगा, उक्त कार्यों को पूर्ण कर दिया जाएगा।
हेमलता नेगी, महापौर, नगर निगम कोटद्वार।

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