जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : रामलीला के छठवें दिन मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस सुंदर लाल मुयाल ने पौराणिक कथाओं के महत्व को वर्तमान समय में प्रासंगिक बताया। कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम के आचरण से हम अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
रामलीला के छठवें दिन की शुरुआत भगवान की आरती जो तू चाहे सो क्षण में करें से शुरू हुई। मंगलवार की देर शाम तक चली रामलीला में भाव नृत्य में आरुषि नेगी, अदिति रावत, प्राची, कनिका, कशिश और गुंजन वैभवी ममगाईं ने बेहतरीन नृत्य प्रस्तुत किया। रामलीला भरत के चित्रकूट प्रस्थान से लेकर, पंचवटी में सीता जी को प्यास लगना, अत्रिमुनि अनसूया से भेंट, पंचवटी में सुपर्णखा की नाक कटना, खर दूषण वध, रावण सुपर्नखा संवाद, रावण मारीच संवाद, राम का स्वर्ण मृग वध हेतु गमन, योगी रावण का पंचवटी में प्रवेश, सीता हरण तक मंचित की गई। अत्रिमुनी की भूमिका गोपाल नेगी, अनसूया सोनम डोभाल, सुपर्णखा तनुप्रिया सुंदरियाल, खर निखिल रौथान, दूषण मनीष लिंगवाल, मारीच प्रज्वल, जटायु की भूमिका सचिन ने निभाई। सुपर्णखा की भूमिका में तनुप्रिया सुंदरियाल के देखो बाली जीवन की बहार जी हां, मैं तो कैसी बनी हूं रसीली नार पर नृत्य ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। उनके सुंदर अभिनय ने रामलीला मैदान में खचाखच भरे दशकों की भीड़ का भरपूर मनोरंजन किया। इस मौके पर पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष विजय शर्मा, भरत सिंह रावत, कुरा देवी आदि मौजूद थे।