टस्कर हाथी पर पहली बार लगाया सेटेलाइट आधारित रेडियो कॉलर
हरिद्वार। हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ रेंज में एक टस्कर हाथी पर पहली बार सेटेलाइट आधारित रेडियो कॉलर लगाया गया है। हाथी को ट्रेंकुलाइज करने में करीब 30 मिनट का समय लगा। ट्रेंकुलाइज के करीब दो घंटे बाद हाथी होश में आया और जंगल में चला गया। अभी नौ और हाथियों को रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे।
हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से महाकुंभ के आयोजन और मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए दस जंगली हाथियों को रेडियो कॉलर लगाने के लिए चिह्नित किया गया है। बृहस्पतिवार को भारतीय वन्यजीव संस्थान और हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से रसियाबड़ रेंज के दसोवाला क्षेत्र में एक जंगली हाथी को पहली बार रेडियो कॉलर लगाया गया। हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ नीरज शर्मा ने बताया कि टीम करीब सुबह पांच बजे रसियाबड़ रेंज के दसोवाला क्षेत्र में पहुंच गई थी।
टीम ने एक टस्कर हाथी को करीब 5:30 बजे ट्रेंकुलाइज कर उसे रेडियो कॉलर लगाया। उन्होंने बताया कि दस जंगली हाथियों को रेडियो कॉलर लगाने के लिए चिह्नित किया गया है। बताया कि रेडियो कॉलर से हाथियों की लोकेशन पहचान ली जाएगी। इससे हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोका जा सकेगा। इस दौरान वन संरक्षक शिवालिक वृत्त पीके पात्रों, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. पराग निगम, डॉ. अमित ध्यानी, श्यामपुर रेंजर विनय राठी, रसियाबड़ रेंजर कुलदीप पंवार आदि मौजूद रहे।
10:15 बजे मिली पहली सेटेलाइट लोकेशन
हरिद्वार वन प्रभाग के रसियाबड़ रेंज में रेडियो कॉलर किए गए टस्कर हाथी की पहली सेटेलाइट लोकेशन करीब 10:15 बजे मिली। हाथी की पहली लोकेशन जंगल के तीन किलोमीटर भीतर की थी। जबकि दूसरी लोकेशन करीब एक घंटे बाद 11:15 बजे हरिद्वार वन प्रभाग में मिली। हरिद्वार वन प्रभाग को सेटेलाइट के माध्यम से प्रति एक घंटे में रेडियो कॉलर से हाथी की लोकेशन मिलती रहेगी। जैसे ही वह आबादी क्षेत्र की ओर आने का प्रयास करेगा तो उसकी लोकेशन के आधार पर उसे वहीं पर रोककर जंगल की ओर खदेड़ दिया जाएगा। जर्मनी की एक कंपनी ने हरिद्वार वन प्रभाग को रेडियो कॉलर उपलब्ध कराएहैं।
पालतू हाथी को 2018 में लगाया था रेडियो कॉलर
तीन लोगों को कुचलकर मौत के घाट उतारने वाले एक नर हाथी को जनवरी 2018 में एंटीना आधारित रेडियो कॉलर लगाया गया था। रेडियो कॉलर के बाद उसे भेल क्षेत्र के दूर जंगल में छोड़ दिया गया था। कुछ महीने बाद ही वह वापस भेल क्षेत्र में लौटने लगा। इसके चलते उसे नवंबर 2018 में ट्रेंकुलाइज कर पालतू बना लिया गया था। इस हाथी को बाद में राजा नाम दिया गया था।