बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ संस्कृति के बारे में बताएं

Spread the love

परिवार ही बच्चे की प्रथम पाठशाला
जयन्त प्रतिनिधि।
चमोली : उत्तराखण्ड बाल संरक्षण आयोग द्वारा बाल अधिकार एवं सुरक्षा पर सोमवार को जीरो बैंड स्थित बँक्वेट हॉल में एक दिवसीय जागरूकता एवं संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि परिवार ही बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है। वहीं बच्चे अच्छा बुरा सीखते हैं। जब हम खुद जागरूक होंगे, तभी अपनी रक्षा कर सकते हैं। कहा कि अपने बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ अपनी संस्कृति के बारे में बताएं। कहा कि एक प्रशासक के रूप में, माता-पिता के रूप में, एक शिक्षक के रूप में हम सब लोग मिलकर इस नवयुवा भारत के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें।
कार्यशाला का शुभारंभ उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने किया। कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यही है कि हम बच्चों की समस्याएं सुन सकें और अधिकारियों से उनके निस्तारण को लेकर चर्र्चा कर सकें। जो भी बच्चों से संबंधित समस्याएं हैं, मुश्किले हैं, उनका पता लगाकर दूर सकें। कहा कि अभी नशे लेकर बात कही गयी थी जब हर घर में बातें सजी हैं तो कैसे हम बच्चों को नशे से दूर कर सकेंगे। बच्चों से संवाद करके उन्हें इससे होने वाले दुष्परिणामों के बारे में बताएं। इस दौरान उन्होंने शिक्षा विभाग को दिव्यांग बच्चों की शिक्षा की पूर्ण व्यवस्था करने तथा चिकित्सा विभाग को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने को कहा। इसके बाद अध्यक्ष ने बालमित्र थाने का निरीक्षण किया। उत्तराखण्ड बाल अधिकार आयोग के सदस्य विनोद कप्रवाण ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में आयोग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। समय-समय पर आयोग द्वारा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। इस दौरान उन्होंने चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 के बारे में जानकारी दी। इस दौरान सदस्य बाल संरक्षण आयोग विनोद कप्रवाण, अनुसचिव एसके सिंह, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, एसपी सर्वेश पंवार, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पुनीत कुमार, एसडीएम चमोली आरके पाण्डेय डीपीओ हिमांशु बडोला सहित स्कूली बच्चे व शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *