मालन नदी का पुल धराशायी होने के बाद खड़े हो रहे कई सवाल
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : भाबर क्षेत्र के अंतर्गत मालन नदी पर धराशायी हुआ पुल कई सवाल खड़े कर रहा है। दरअसल, सरकारी सिस्टम उस समय क्यों मूकदर्शक बना हुआ था जब अवैध खननकारी मालन नदी का सीना चीर रहे थे। जबकि, क्षेत्रवासी लगातार अवैध खनन के खिलाफ आवाज भी उठा रहे थे। पुल के पिल्लरों की हालत बिगड़ने के बाद लोक निर्माण विभाग ने बजट के लिए शासन से मांग की। लेकिन, शासन ने भी इसे मंजूरी नहीं दी। नतीजा शहरवासियों के दिमाग में अब भी यह सवाल घूम रहा है कि आखिर पुल गिरने के लिए कौन जिम्मेदार है। वह विभाग जो अवैध खनन को देखने के बाद भी अपनी आंखों को मूंदकर बैठा हुआ था। या फिर वो अवैध खननकारी जो जेसीबी मशीनों से दिन रात मालन का सीना चीर रहे थे। इन सब के बीच शासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। अखिर इतने प्रस्ताव भेजने के बाद भी बजट क्यों नहीं उपलब्ध करवाया गया।
मालूम हो कि गुरुवार को मालन नदी पर बना पुल धराशायी हो गया था। लेकिन अब पुल टूटने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मालन नदी में हो रहे अवैध खनन को लेकर भी क्षेत्रवासी लगातार आवाज उठा रहे थे। बावजूद सरकारी सिस्टम ने इस ओर झांककर तक नहीं देखा। पुल से हर रोज सैकड़ों ओवरलोड उपखनिज से भरे डंपर दौड़ाए जा रहे थे। जानकारी होने के बाद भी सरकारी सिस्टम मूकदर्शक बना रहा। बरसात से कुछ माह पूर्व ही पुल की सुरक्षा को लेकर चिंता जातई गई। लोक निर्माण विभाग ने शासन को मालन पुल सहित सात अन्य पुलों में सुरक्षा दीवार बनाने का प्रस्ताव भेजा। लेकिन, आज तक उसे मंजूरी नहीं मिली। विभाग ने खनिज न्यास निधि से भी सुरक्षा दीवार निर्माण को धनराशि मांगी। लेकिन, वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। यदि शासन से पुल सुरक्षा के लिए धनराशि मिल जाती तो शायद आज मालन नदी का पुल नहीं बहता।