श्रीनगर गढ़वाल : अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वाधान में मानवाधिकार और मानव स्वास्थ्य विषय पर बुधवार को कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं अध्यापकों ने मानवाधिकारों के विभिन्न आयामों पर विचार-विमर्श किया। शोधार्थी गौरव पडियार ने मानवाधिकारों की वर्तमान स्थिति पर कहा कि मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में मानवाधिकारों की कल्पना अधूरी है। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकार को मानव गरिमा से सीधे जुड़ा हुआ बताया। बीएससी के छात्र अभिनव थपलियाल ने अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और व्यक्तिगत स्तर पर मानवाधिकारों की चुनौतियों पर चर्चा की। शोधार्थी ऋतिक ने कहा कि भारत सरकार कई कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाकर मानवाधिकारों को सुदृढ़ कर रही है। डॉ. सुभाष ने मानवाधिकारों की रक्षा में कर्तव्यों के पालन की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया और कहा कि यह नैतिकता पर आधारित होना चाहिए। डॉ. नरेश कुमार ने मानवाधिकारों के उदय में फ्रांसीसी क्रांति, अमेरिकी क्रांति और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। राष्ट्रीय सेवा योजना के कॉऑर्डिनेटर डॉ. राकेश नेगी ने बताया कि मानवाधिकारों की आवश्यकता मानव द्वारा मानव के प्रति किए गए भेदभाव की उपज है। राजनीतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने पर्यावरणीय प्रदूषण वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण पर विस्तार से चर्चा की और आपदा प्रभावितों के अधिकारों पर प्रकाश डाला। बताया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 केवल जीवन के अधिकार तक सीमित नहीं है, बल्कि वह गरिमामय जीवन की सुनिश्चितता का दावा भी करता है। मौके पर शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। (एजेंसी)