विकासनगर)। जौनसार बावर में मंगलवार से शुरू हुआ आस्था का महापर्व जागड़ा गुरुवार को देव ढाल देने के साथ समाप्त हो गया। पर्व के अंतिम दिन जौनसार क्षेत्र के महासू मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस दौरान कई मंदिरों में जागड़ा मनाया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने देवता और देव माली के समक्ष अपनी समस्याओं को रखा। मंदिरों में श्रद्धालुओं की ओर से भेंट देने का सिलसिला महापर्व के अंतिम दिन भी जारी रहा। महासू धाम हनोल जागरे (जौनसार में जागड़ा) मेला हरियाली के दिन से लगातार जल रही अखण्ड ज्योति घी कुंड पूर्ण होने के साथ ही मन्दिर के कपाट गुरुवार शाम को बंद हो गए। जागरा मेला लोक पर्व की परम्परा अनुसार, 26 अगस्त रात्रि को सोदोड शयन पूजा अर्चना के समय मन्दिर के चारों द्वार और कोठार के द्वार भी साल में एक बार तीन दिन के लिए दर्शन के लिए खुलते हैं। परम्परा है हरियाड़ी की शाम को घी कुंड अखण्ड ज्योति जलाई जाती है, जो तीसरे दिन गुरुवार शाम तक जलती रही। अखंड ज्योति के बुझते ही निरोड़ियों ने विधि विधान से मंदिर के द्वार बंद कर दिए। इसके साथ ही चार निरोड़ियों ने मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों और क्रिया कलापों की जिम्मेदारी पुजारी को सौंपी। सदियों से चली आ रही इस परंपरा के निर्वहन के साथ ही जागड़ा मेले का समापन हुआ। इसके साथ ही जौनसार के महासू मंदिरों में भी दो दिवसीय जागरा मेला समाप्त हो गया। बीते तीन दिनो तक महासू धाम हनोल, थैना मंदिर, छत्रधारी चालदा महाराज मंदिर दसऊ समेत पूरे जौनसार बावर परगने के महासू मंदिरों में लोक संस्कृति और आस्था का संगम देखने का मिला। पर्व के अंतिम दिन भी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने देव दर्शन किए। हनोल महासू धाम में जागरा मेले के समापन पर चार निरोड़िया हरिश्चंद नौटियाल, भागीराम डोभाल, शोभा राम, जगमोहन जोशी, पुजारी रामचंद्र जोशी, गोरख नाथ राजगुरु, पूरण नाथ राजगुरु, डॉ. नरेंद्र राणा, डॉ. प्रीतम सिंह शर्मा आदि मौजूद रहे।