नई शिक्षा नीति के अनुसार बनाया गया है पाठ्क्रमरू प्रो़ वरखेड़ी
नई टिहरी। केन्द्रीय संस्त विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में दस दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में साहित्य के शास्त्री(बीए) से लेकर आचार्य (एमए) तक का पाठ्यक्रम बनाया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार बने नये पाठ्यक्रम में प्राचीनता व आधुनिकता का समन्वय कर पर्यावरण संरक्षण, मानव मूल्य, अनुवाद आदि को प्रमुखता दी गयी है। शनिवार को श्री रघुनाथ कीर्ति में आयोजित कार्यशाला में साहित्य के शास्त्री(बीए) से लेकर आचार्य (एमए) तक का पाठ्यक्रम बनाया गया। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रसिद्घ विद्वानों व शास्त्रज्ञों के मंथन, सुझावों व विचारों के आधार पर पाठ्यक्रम को नया रूप दिया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते कुलपति प्रो़ श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि, यह पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति के अनुसार छात्र केंद्रित है। उन्हें अनावश्यक अध्ययन व जटिलताओं से मुक्ति मिल सकेगी। कुलपति ने कहा कि, कुछ आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद इसे शीघ्र लागू करने का प्रयास किया जाएगा। पाठ्यक्रम के निर्माण का उद्देश्य छात्रों को विद्वान के साथ देश का कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाना भी है। केन्द्रीय संस्त विश्वविद्यालय के शैक्षिक वृत्त अधिष्ठाता प्रो़ बनमाली बिश्वाल ने कहा कि, समय, परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रमों का पुनर्निमाण और संशोधन अनिवार्य है। यह शिक्षा व्यवस्था और विश्वविद्यालयों के हित में भी आवश्यक है। परिसर निदेशक प्रो़ पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि, यह सौभाग्य की बात है कि श्री रघुनाथ जी की पुण्य भूमि देवप्रयाग में साहित्य का नया पाठ्क्रम बनाया जा रहा है। उन्होंने आशा जताई कि पाठ्यक्रम छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में महवपूर्ण भूमिका निभायेगा। इस मौके पर ड़ अनिल कुमार, प्रो़ विजयपाल शास्त्री, लखनऊ परिसर निदेशक प्रो़ सर्वनारायण झा, भोपाल परिसर निदेशक प्रो़ रमाकांत पाण्डेय, दिल्ली के प्रो़ ओमनाथ बिमली, प्रो़ भारतेंदु पाण्डेय, प्रो़ सूर्यमणि रथ, प्रो़ रामकुमार शर्मा, प्रो़ राघवेंद्र भट्ट, प्रो़ ईआर नारायण, प्रो़ टी शंकर नारायण, ड़ सुज्ञान मोहंती आदि मौजूद रहे।