राज्यसभा में भी पास हुआ दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक, शाह बोले- आप सरकार के सौतेले व्यवहार के कारण लाना पड़ा बिल
नई दिल्ली , एजेंसी। लोकसभा के बाद राज्यसभा में ध्वनि मत से मंगलवार को दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक पारित हो गया। इस बिल में दिल्ली नगर निगम अधिनियम,1957 में संशोधन करने मांग की गई थी। ताकि दिल्ली के तीन नगर निगमों को एक इकाई में एकीत किया जा सके।
राज्यसभा में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जिस प्रकार का सौतेला व्यवहार आम आदमी पार्टी की सरकार ने तीनों निगमों के साथ किया है, उसके कारण दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 बिल लेकर आना पड़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकारी की हमसे दुश्मनी हो सकती है लेकिन दिल्ली की जनता से क्या दुश्मनी है?
इस बिल में सफाई कर्मचारियों को 14 दिनों का नोटिस देकर हटाने का जो प्रावधान है उसे खत्म कर सभी सफाई कर्मचारियों को परमानेंट किए जाने की बात भी कही गई है। बिल को लेकर केंद्र सरकार का कहना है कि तीनों निगमों को अब सीधे केंद्र सरकार से फंड मिलेगा और शहर का विकास होगा। इस संशोधन बिल के तहत 1957 के मूल अधिनियम में भी कुछ और संशोधनों को मंजूरी दी गई है।
इससे पहले लोकसभा में इस पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सरकार पर तीनों नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार ने तीनों एमसीडी के साथ सौतेला व्यवहार किया है। दिल्ली सरकार के इस व्यवहार के कारण सारे नगर निगमों के पास दायित्वों का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
इस बिल पर बोलते हुए लोकसभा में अमित शाह ने कहा था कि दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक तीनों एमसीडी को एक एमसीडी में बदल देगा। संसाधन और सहकारितावादी और सामरिक योजना की दृष्टि से एक ही निगम अगर पूरी दिल्ली की सिविक सेवाओं का ध्यान रखेगा तो बेहतर होगा। इससे सभी दिल्ली वासियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
लोकसभा में दिल्ली के डब्क् पर बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पहले दिल्ली में एक ही नगर निगम हुआ करता था। 1957 दिल्ली नगर निगम एक्ट के तहत इसकी स्थापना हुई थी। इसके बाद इसमें 1993 और 2011 में संशोधन किए गए। जिसके बाद उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगम में दिल्ली को बांट दिया गया था।
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने वाला विधेयक संसद में पेश किया था। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बिल को पेश करते समय दावा किया था कि एक नगर निगम होने से उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।