उत्तराखंड

कंपनी से निकाले गए कर्मचारियों ने डीएम कार्यालय में दिया धरना

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हरिद्वार। सिडकुल की पैन बनाने वाली एक कंपनी से निकाले गए सैकड़ों कामगार जिलाधिकारी कार्यालय रोशनाबाद में धरने पर बैठ गए हैं। कामगारों ने कंपनी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उपजिलाधिकारी पूरन सिंह राणा ने कामगारों का धरना समाप्त कराने का प्रयास किया। लेकिन कामगार नही माने? कामगारों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन ने अचानक कंपनी बंद कर दी। उन्हें बेरोजगार बनाकर रख दिया। ऐसे में अपने बच्चों का पालन पोषण कैसे करेंगे।
भारतीय मजदूर संघ के प्रांतीय मंत्री सुमित सिंघल ने श्रम विभाग पर आरोप लगाया कि विभाग के अधिकारियों ने कंपनी प्रबंधन के साथ मिलकर कामगारों की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ने दी। अब कर्मचारियों के साथ गुरुवार एवं शुक्रवार तक सुबह 10 से शाम 5 बजे तक धरने पर बैठे रहेंगे। उसके बाद जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर रात दिन का धरना शुरू किया जाएगा। राधा देवी, सुनीता, भगवती देवी, साधना, मीना रस्तोगी, ममता, सुनीता, किरण, प्रीति, बबिता, बिरजेश, नाजरीन, मीना, रीना, आशा, रुबीना, नगमा, सुनीता, सीखा आदि कामगारों ने कहा कि उप जिलाधिकारी ने उनको जबरदस्ती उठाने का प्रयास किया था। लेकिन कर्मचारियों की मांग जब तक पूरी नहीं होगी। वह धरना स्थल से नहीं उठेंगे।
महिलाओं ने कहा कि हमारे परिवार में बच्चे हैं। उन्हें लेकर कहां जाएंगे। एक महीना होने जा रहा है, श्रम विभाग ने केवल कंपनी पर तालाबंदी की है। तालाबंदी से उनको न्याय नहीं मिलेगा। न्याय मिलेगा जब कंपनी प्रबंधन कामगारों के साथ बैठकर वार्ता करेंगे। श्रम विभाग की तरफ से कंपनी की आरसी काटने तक की संस्तुति नहीं की गई है। विभाग की हीलाहवाली के कारण ही ग्रेजुएटी के लिए भी कंपनी पर केस फाइल तक नहीं किया है।
अमन, सुमित कुमार, जीतू गौतम, हिमांशु कुमार, मनीष कश्यप, अंकित शर्मा, सुमित कुमार, अजय कुमार राजू, परमजीत, महेश, आबिद, बबी आदि ने कहा कि अपने बच्चों की फीस, मकान का किराया, घर का राशन कंपनी में काम कर कर ही पूरा किया जाता है। अब कंपनी में काम नहीं मिलेगा। तो वह कहां जाएंगे।

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