कोटद्वार-पौड़ी

गिंदी कौथिक की धूम : कलालघाटी के नाम रही मवाकोट की गिंदी

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मवाकोट व डाडामंडी में आयोजित किया गया गेंद मेला
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : मकर संक्रांति पर गेंद मेले की धूम देखने को मिली। डाडामंडी के साथ ही मवाकोट में गेंद मेला धूमधाम के साथ मनाया गया। मवाकोट की गिंदी कलालघाटी के नाम रही। जबकि, डाडामंडी की गिंदी लंगूर पट्टी के नाम रही।
शंकरदत्त गेंद मेला समिति के तत्वावधान में सोमवार सुबह मेला स्थल पर पारंपरिक ध्वज का पूजन कर गिंदी का अभिनंदन किया गया। इसके बाद शाम करीब चार बजे पारंपरिक रूप से मेला समिति के सदस्यों की ओर से गिंदी को मैदान में लाया गया, जहां कोटद्वार व कलालघाटी (भाबर) के गिंदेरे गिंदी का इंतजार कर रहे थे। मैदान में पूजा-अर्चना के बाद समिति ने गिंदी को गिंदेरों के बीच हवा में उछाल दिया। इसके बाद दोनों क्षेत्रों के गिंदेरों में गिंदी को अपने क्षेत्र में ले जाने के लिए कशमकश शुरू हो गई। मेला समिति अध्यक्ष कुलदीप रावत ने बताया कि करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद कलालघाटी के गिंदेरे गेंद को अपने पाले में ले जाने में कामयाब रहे।


डाडामंडी में लंगूर ने जीती गिंदी
मकरैंण (मकर संक्रांति) के मौके पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों में गिंदी कौथिग का आयोजन किया गया। डाडामंडी में लंगूर व भटपुडी के बीच गेंद के लिए लंबी जद्दोजहद के बाद लंगूर पट्टी ने गिंदी को अपने नाम किया। कौथिग (मेला) में हजारों की तादाद में उमड़े कौथगेरों ने न सिर्फ ‘गिंदी’ का आनंद लिया, बल्कि जमकर खरीददारी भी की। ‘गिंदी’ के लिए परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों लंगूरी व भटपुड़ी पट्टियां आमने-सामने थी। आमजन भी बड़ी तादाद में गिंदी देखने मेला स्थल पर पहुंचा था। परंपरागत तरीके से ढोल-दमाऊ व मशकबीन की सुर लहरियों के बीच गिंदी को मैदान में लाया गया, जहां पूजा-अर्चना के बाद गिंदी गिंदरों के बीच उछाल दी गई।

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