मैदानी क्षेत्र के चंद विधायकों के समक्ष सरकार ने किया समर्पण

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अल्मोड़ा। उत्तराखंड विधि आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष 29 नवंबर से देहरादून में प्रस्तावित शीतकालीन सत्र के आयोजन पर कड़ा ऐतराज किया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन विधायकों के विरोध पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र को गैरसैंण में न किए जाने का विरोध पहाड़ के हित में नहीं है, साथ ही शर्तिया तौर पर ये प्रदेश सरकार का मैदानी क्षेत्र के विधायकों की लबी के समक्ष समर्पण है। तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड की राजनीति में मैदानी क्षेत्र की लबी का वर्चस्व लगातार बढ़ रह है और पहाड़ों की आवाज लगातार कमजोर पड़ रही है। उन्होंने कहा राज्य के नौ जिलों में से ज्यादा विधानसभा सीटें देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहगर, नैनीताल जिले की तराई में हैं। मैदानी जिले उतराखंड की राजनीति की दिशा को तय कर रहे हैं। मैदानी जिलों में बढ़ रही आबादी और इसके परिणाम स्वरूप बढ़ रही विधायकों की संख्या के कारण हर उतराखंडी सरकार गैरसैंण पर नीतिगत निर्णय लेने से भाग रही है। कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र से जुड़े विधायकों को पहाड़ के हक और हित में प्रदेश सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए सरकार पर विधानसभा का शीतकालीन सत्र गैरसैंण में आयोजित करने का दबाव बनाना चाहिए।

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