हरिद्वार(। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में बकाया वेतन भुगतान को लेकर कर्मचारियों में रोष है। शासन स्तर से फरमान जारी हुआ है कि केवल 4600 ग्रेड-पे वाले कर्मचारियों को ही बकाया वेतन का भुगतान किया जाएगा। इस फैसले से उन हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों की दीपावली की खुशियां छिनती दिख रही हैं जो वेतन की आस लगाए बैठे थे।
दीपावली में अब केवल पांच दिन शेष हैं लेकिन विश्वविद्यालय के शिक्षक, चिकित्सक, शिक्षणेत्तर (गैर-शिक्षण) और चिकित्सा कर्मी कंगाली में दिन गुजारने को मजबूर हैं। गौरतलब है कि दस दिन पहले अनियमितता पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई थी। अब दस दिन बाद केवल कुछ कर्मचारियों को वेतन भुगतान के लिए बिल और बाउचर मांगे जा रहे हैं। वेतन भुगतान के संबंध में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि मंडल ने 14 अक्तूबर को कुल सचिव से मिलकर भुगतान की मांग की थी। इसके बावजूद केवल चतुर्थ श्रेणी स्तर के कर्मचारियों को वेतन भुगतान का निर्णय लिया गया है जिससे अन्य कर्मचारियों में भारी असंतोष है।
वर्ष 2019 की अनियमितता का दंश झेल रहे मौजूदा कर्मचारी
कर्मचारियों की इस दयनीय स्थिति का कारण वर्ष 2019 में हुई वित्तीय अनियमितता है। इस अनियमितता के चलते शासन और वित्त विभाग समय-समय पर वेतन रोकने की कार्रवाई करते रहे हैं जो पिछले करीब छह सालों से एक परंपरा बन गई है। कर्मचारियों के सब्र की सीमा अब टूट रही है। होली हो या दीपावली, कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े रहते हैं। कैग की रिपोर्ट और वित्त विभाग की अनदेखी का आलम यह है कि जिन्होंने वित्तीय अनियमितता की थी, उनमें से अधिकांश अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनकी अनियमितता का खामियाजा मौजूदा ईमानदार कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष खीमानंद भट्ट ने कहा कि प्रतिनिधि मंडल जल्द ही आयुष सचिव से मिलकर नियमित रूप से सेवा दे रहे कर्मचारियों के गुनाह के बारे में पूछेगा।