राज्यपाल ने दिए कोटद्वार के गोसदनों में बरती जा रही अनियमितता के जांच के आदेश
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : कोटद्वार की जनता जहां बेसहारा पशुओं के कारण आए दिन परेशानी झेल रही है। वहीं नगर निगम के अंतर्गत ऐसे बेसहारा पशुओं के लिए संचालित हो रही गोशाला में भ्रष्टाचार चरम पर है। आरोप है कि इन दोनों ही गोशालाओं के संचालकों को बेसहारा पशुओं के रख-रखाव व भरण-पोषण के लिए लाखों रुपये दिए गए, लेकिन संचालकों ने इन रुपयों की बंदर बांट कर दी। जिसका नतीजा है कि आज भी बेसहारा पशु सड़कों पर आमजन को चोट पहुंचा रहे हैं। हालांकि, प्रदेश के राज्यपाल ने इस मामले का संज्ञान लिया है और जिलाधिकारी पौड़ी को मामले में जांच कर उचित कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
क्षेत्रीय निवासी सुधीर बहुगुणा ने करीब एक माह पूर्व श्री गोपाल गैलोथ सेवा संस्थान शनिदेव मंदिर गाड़ीघाट व आकृति सेवा समिति, आमपड़ाव कोटद्वार पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत राज्यपाल से की थी। उनका आरोप है कि श्री गोपाल गैलोथ सेवा संस्थान को गोवंश के भरण-पोषण के लिए सितंबर 2020 में पशुपालन विभाग की ओर से दो लाख 21 हजार रुपये दिए गए थे। वहीं, जुलाई 2021 में आकृति सेवा समिति को नौ लाख 78 हजार रुपये दिए गए थे। तब आकृति सेवा समिति की ओर से शरणागत गोवंश की औसत संख्या 517 बताई गई थी। आरोप है कि दोनों ही गोसदनों के संचालकों ने उक्त रकम की बंदर बांट की, जिसका नतीजा आज भी बेसहारा पशु सड़कों पर भटक रहे हैं। मामले का संज्ञान लेते हुए राज्यपाल ने जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल को उक्त आरोपों की जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
बेसहारा पशुओं के कारण हर रोज लगता है जाम, लोग होते हैं चोटिल
कोटद्वार में बेसहारा पुशओं के कारण लोग लंबे समय से परेशानी झेल रहे हैं। आए दिन लोग नगर निगम और प्रशासन से इसकी शिकायत करते हैं, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। जिसका नतीजा आए दिन बेसहारा पशुओं के कारण सड़कों पर वाहनों का जाम लगता रहता है। यही नहीं कई बार तो यह बेसहारा पशु लोगों पर हमला कर उन्हें घायल भी कर देते हैं।
बेसहारा पशुओं के कारण बंजर हो गए खेत
कोटद्वार में पिछले कुछ समय में बेसहारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ी है। जिसका नतीजा यह है कि इन पशुओं ने लोगों की खेती को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। आज स्थिति यह है कि लोगों ने खेती करना ही छोड़ दिया है। जिस कारण हरी-भरी फसलों से लहलहाने वाले खेत अब बंजर हो गए हैं।