बागेश्वर। बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते प्रशासन क्वारंटाइन सेंटर फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है। फिलहाल जिले में एक भी क्वारंटाइन सेंटर नहीं है। कोरोना की पहली लहर के दौरान जिले में क्वारंटाइन सेंटर खोले गए थे। होटल, सरकारी स्कूल, सामुदायिक भवन आदि में यह व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानों को क्वारंटाइन सेंटरों की जिम्मेदारी दी गई थी। बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य परीक्षण के बाद इन जगहों पर एक सप्ताह से 14 दिन तक क्वारंटाइन किया जा रहा था। यह सभी के लिए जरूरी था। नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई भी की जा रही थी। इससे संक्रमण पर काबू पाने में काफी मदद मिली थी। मार्च से सक्रिय कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद अब तक क्वारंटाइन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बाहर से आने वाले सभी लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर होम आइसोलेशन के लिए भेज दिया जा रहा है। संक्रमित होने की स्थिति में उसे कोविड केयर अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। इससे बीमारी फैलने की आशंका ज्यादा है। इस सबको देखते प्रशासन अब मंथन करने लगा है। जल्द ही इस पर निर्णय होने की संभावना लग रही है।
पहली लहर में छह करोड़ से अधिक का खर्च: बीते वर्ष कोरोना की पहली लहर के दौरान महामारी से निपटने के लिए आपदा निधि से छह करोड़ 30 लाख 15 हजार का खर्च आया था। यह खर्च क्वारंटाइन केंद्रों, कोविड केयर सेंटर, दवाईयां आदि में किया गया था। इस बार आपदा निधि में 5 करोड़ की धनराशि उपलब्ध है।
क्वारंटाइन सेंटर खोलने पर विचार किया जा रहा है। जल्द इस पर निर्णय लिया जा सकता है। बाहर से आने वालों को क्वारंटाइन करने बाबत प्रक्रिया चल रही है।
-हेमंत कुमार वर्मा, अपर जिलाधिकारी, बागेश्वर