पंकज पसबोला।
कोटद्वार : हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश के कई राज्यों में लोग इसका प्रयोग करते हैं। आम बोलचाल के लिए भी हिंदी सबसे ज्यादा प्रयोग की जाती है। ऐसे में हिंदी के महत्व को लोगों तक पहुंचाने और इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहन देना है। हिंदी, भाषा के रूप में कितनी समृद्घ है लोगों में इस बात की जागरूकता फैलाना भी इसका उद्देश्य है। भाषा भावों और विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम होती है और इसमें हिन्दी भाषा भी एक सशक्त माध्यम है। भाषा के माध्यम से हम अपने विचारों, भावनाओं, सूचनाओं और ज्ञान को दूसरों तक पहुंचाते हैं और उनके साथ संबंध स्थापित करते हैं। हिन्दी के मौखिक और लिखित रूप, जैसे बोलना और लिखना, अभिव्यक्ति के मुख्य साधन हैं, जो हमें अपने आंतरिक विचारों को साझा करने में मदद करते हैं।
श्री गुरू राम राय पब्लिक स्कूल लालपानी की शिक्षिका श्रीमती मीना थलेड़ी का कहना है कि भाषा भाव और विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। राष्ट्रभाषा को बढ़ावा देने के लिए एवं उसके प्रचार-प्रसार के लिए विश्व हिंदी सम्मेलन में चिंतन मनन किया जाता है। 14 सितंबर 1949 के दिन संविधान सभा ने हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। हिंदी भारत की मातृभाषा है, जिसे हम गर्व से स्वीकारते हैं कि हम हिंदी भाषी हैं अनेकता में एकता का स्वर हिंदी भाषा के माध्यम से गूंजता है। उन्होंने कहा कि जीवन में भाषा का सबसे अधिक महत्व है। हिंदी भाषा दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। यह भाषा अत्यंत सरल एवं स्पष्ट है। कहा कि मातृभाषा ज्ञान के बिना सर्वांगीण विकास की कल्पना करना अधूरी है। मातृभाषा देश की धरोहर है, जिस तरह हम तिरंगे को सम्मान देते हैं वैसे ही भाषा भी सम्माननीय है। एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्य संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक है। श्रीमती थलेड़ी ने कहा कि भाषा व्यक्ति को जोड़ती है व्यक्ति के जोड़ने से परिवार बनता है, परिवार के जोड़ने से समाज बनता है, समाज से गांव, गांव से शहर, शहरों से महानगर और महानगरों से देश, इस प्रकार देश के विकास में इस जुड़ाव का होना आवश्यक है। खास तौर पर यह जुड़ाव भाषा के माध्यम से ही मजबूत हो सकता है।
हिंदी भाषा के प्रति हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा
श्री गुरू राम राय पब्लिक स्कूल लालपानी की शिक्षिका श्रीमती मीना थलेड़ी ने कहा कि यह मतभेद भाषा का मतभेद है अंग्रेजी आज की जरूरत है, लेकिन क्या जरूरत के लिए नींव को छोड़ा जा सकता है। अगर हिंदी को इस तरह से पृथक कर दिया जाएगा तो गांव और शहरों में बढ़ता मतभेद और भी गहरा हो जाएगा, जो कि देश के विकास में एक बड़ी बाधा है। हिंदी भाषा के प्रति हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा। व्यावसायिक स्पर्धा के युग में कंपनियों एवं प्रतिष्ठानों को अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी भाषा को अपनाना चाहिए। हिंदी जनसंपर्क की भाषा है, सभी जगह हिंदी भाषा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे हमारी संस्कृति भी विकसित होगी। कहा कि हिन्दी मात्र भाषा ही नहीं है, बल्कि हमारी सभ्यता व संस्कृति की भी पहचान है।