जड़भरत, अजामिल और प्रहलाद की कथा से दिया भक्ति श्रद्धा और त्याग का संदेश

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-कोटद्वार में भागवत कथा के दूसरे दिन रही भक्तों की भीड़
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : कोटद्वार के नजीबाबाद रोड काशीरामपुर में भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास वेदाचार्य पंडित देवी प्रसाद भट्ट ने जड़भरत, अजामिल और प्रहलाद की प्रेरणादायक कथाएं सुनाकर भक्ति और त्याग का संदेश दिया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने कथा से जुड़े भक्ति गीतों का भी आनंद लिया और अपने जीवन में भक्ति की महत्ता को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
मंगलवार को कथा में भक्तों ने जड़भरत, अजामिल और प्रहलाद की कथाएं सुनकर आत्मिक आनंद का अनुभव किया। कथा प्रवक्ता आचार्य भट्ट ने शुरुआत में जड़भरत के त्याग और भक्ति के अद्भुत उदाहरणों को प्रस्तुत किया, जिनकी कथा सुनकर श्रद्धालुओं ने मनन किया कि वास्तविक भक्ति कैसे केवल भौतिकता से परे होती है। इसके बाद अजामिल की कहानी को सुनाते हुए कथा वाचक ने बताया कि कैसे एक साधारण जीवन जीते हुए भी उसने अपने अंतिम क्षणों में भगवान के नाम का स्मरण कर मोक्ष प्राप्त किया। यह कथा सुनकर श्रोताओं में यह संदेश गूंजा कि किसी भी परिस्थिति में भगवान का नाम लेना कितना महत्वपूर्ण है। प्रहलाद की कथा ने तो सभी का दिल जीत लिया। भक्तिभाव से भरे प्रहलाद ने दुष्ट पिता हिरण्य कश्यप के अत्याचारों के बावजूद अपनी भक्ति को बनाए रखा। इस कथा ने यह सिखाया कि सच्ची भक्ति हर कठिनाई का सामना कर सकती है। उन्होंने श्रद्धालुओं को ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों से अवगत कराया। कथा वाचक ने सरल और प्रभावशाली शैली में भगवान विष्णु के अवतारों और सृष्टि के प्रारंभिक क्षणों का वर्णन किया। आचार्य देवी प्रसाद भट्ट ने बताया कि किस प्रकार भगवान ने सृष्टि की रचना की और ब्रह्मा, विष्णु और शिव के बीच की महत्ता को स्पष्ट किया। उन्होंने ब्रह्मा के माध्यम से सृष्टि की प्रक्रिया और जीवों के निर्माण के संबंध में गूढ़ शिक्षाएं साझा की। इस मौके पर आचार्य दीपक ध्यानी, कृष्णा गोदियाल, विनोद देवरानी, अंकित धस्माना, प्रदीप जोशी, ललित जुयाल, वृजेंद्र जुयाल आदि मौजूद रहे।

भजनों पर झूमे स्रोता
कथा के अंत में भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। कथा का समापन आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ, जिससे सभी श्रद्धालु एक नए उत्साह और श्रद्धा के साथ लौटे। कथा के बाद देर शाम तक भजन संध्या चलती रहीं। भजन गायक सुनील पोखरियाल ने एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुति से स्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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