हिमालयी संस्कृति को बचाने के लिए हिमालय लोक नीति की आवश्यकता

Spread the love

जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के समाज शास्त्र विभाग, सेव द हिमालयन मूवमेंट एवं पर्वतीय विकास शोध केंद्र की ओर से उत्तराखंड के 22 वर्षों की यात्रा पर गोष्ठी आयोजित की गई। पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डा.अरविंद दरमोड़ा ने कहा हिमालयी क्षेत्र के जीवन एवं जीविका को ध्यान में रखते हुए हिमालयी संस्कृति, समाज एवं पर्यावरण को बचाने रखने के लिए हिमालय लोक नीति की आवश्यकता है।
गोष्ठी में समाज शास्त्र एवं समाज कार्य विभाग की अध्यक्ष प्रो. किरण डंगवाल ने कहा कि हिमालय बचाओ-देश बचाओ एक नारा मात्र नहीं है यह भावी विकास नीतियों को दिशाहीन होने से बचाने का भी एक रास्ता है। सेव द हिमालयन मूवमेंट के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने कहा कि पहाड़ के लोग हिमालय बचाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन विकास नीतियों से हिमालय बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि हिमालय की संवेदनशीलता को दरकिनार कर जिस विकास नीति का मॉडल यहां लागू किया गया है उसने हिमालय को संरक्षित करने और समृद्ध बनाने में तो कोई भूमिका नहीं निभाई बजाय पहाड़ को आपदाओं का घर बना दिया है। इस मौके पर डा. जेपी भट्ट, डा. दिनेश कुमार, शिवानी, भगत, मनीष भारद्वाज, अंकित उछोली, धारणा शर्मा, राजेंद्र सिंह, वंदना डंगवाल आदि मौजूद रहे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *