श्रीनगर गढ़वाल : शैम्फोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल में आयोजित पांच दिवसीय कथक कार्यशाला के शनिवार को समापन समारोह में प्रतिभागी विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से उन्हें न केवल शास्त्रीय नृत्य की बारीकियां सीखने को मिलीं, बल्कि यह तनाव मुक्त रहने का एक सशक्त माध्यम भी साबित हुआ। कार्यशाला में वृंदावन से आए प्रसिद्ध कथक नर्तक और कोरियोग्राफर आशीष सिंह (नृत्य मंजरी दास) ने 80 विद्यार्थियों को कथक नृत्य की परंपरागत शैलियों का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने भूमि प्रणाम, तत्कार, हस्तक, गुरु वंदना, कवित्त (वृंदावन की कुंज गलिन में), नमस्कार का टुकड़ा आदि सिखाए। आशीष सिंह ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है और इसे सीखकर बच्चों में न केवल सांस्कृतिक चेतना विकसित होती है बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो उसे उचित मंच देने की। कार्यशाला के समापन अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य शशिकला नेगी ने कहा कि इस तरह की सांस्कृतिक गतिविधियां विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं। (एजेंसी)