आसान नहीं होगी ऋषि सुनक की राह, इन तीन बड़ी चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना
नई दिल्ली , एजेंसी। भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं। पीएम बनने के बाद उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में खुलकर कई मसलों पर बात की। पिछले छह महीने से ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई थी। अब उम्मीद जताई जा रही है किाषि सुनक के पीएम बनने के बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा। हालांकि विशेषज्ञों का ये भी मानना है किाषि की राह बहुत कठिन होने वाली है। ब्रिटेन की जनता से लेकर पश्चिमी देशों तक को ऋषि से काफी उम्मीदें हैं।
ऋषि ने सबसे पहले लिज ट्रस को देश और दुनिया की मुश्किल परिस्थितियों में उनके नेतृत्व के लिए शुक्रिया कहा। सुनक ने कहा कि सांसदों के समर्थन से वो ष्विनम्र और सम्मानितष् महसूस कर रहे थे।ाषि ने आगे कहा, मैं वादा करता हूं कि मैं पूरी ईमानदारी और विनम्रता से सेवा करुंगा। दिन रात ब्रितानी लोगों के लिए काम करता रहूंगा।
ऋषि ने कहा, श्हमारा देश रूस-यूक्रेन युद्घ की वजह से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पहले कुछ गलतियां की गईं थीं, मैं उन्हीं गलतियों को ठीक करने के लिए चुना गया हूं। जो भी चुनौतियां आने वाली हैं, मैं पूरी निष्ठा के साथ उनसे निपटने वाला हूं। ये मेरा आप सभी से वादा है।
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डा़ आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, श्मौजूदा समय ब्रिटेन एक साथ कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। फिर वह आंतरिक हो या वैश्विक। इन तमाम चुनौतियों का सामना ऋषि को करना पड़ेगा। इन सबके बीच उन्हें खुद की पार्टी में भी एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।श् आदित्य नेाषि के सामने तीन बड़ी चुनौतियां बताईं।
आर्थिक समस्याओं का करना पड़ेगा सामनारू ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था काफी खराब है। डलर के मुकाबले पाउंड की हालत लगातार खराब हो रही है। रूस-यूक्रेन युद्घ के चलते भी आर्थिक संकट बरकरार है। अबाषि को इस स्थिति का सामना करना होगा।
तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों की रहेगी नजररू ब्रिटेन में तीन साल के अंदर तीन प्रधानमंत्री बदल चुके हैं। थेरेसा मे, बोरिस जनसन और लिज ट्रस। पार्टी के अंदर इन तीनों पूर्व प्रधानमंत्रियों की पैनी नजराषि पर रहेगी।ाषि के हर कदम पर ये नेता सवाल खड़ा कर सकते हैं।
़ विदेश नीति को मजबूत रखना रू मौजूदा समय रूस-यूक्रेन युद्घ के चलते काफी उथल-पुथल है। ऐसे समय ब्रिटेन की विदेश नीति को मजबूत रखना भीाषि के सामने बड़ी चुनौती होगी। प्रधानमंत्री रहते हुए बोरिस जनसन युद्घ के बीच यूक्रेन गए थे। उन्होंने हर स्तर पर यूक्रेन को मदद देने का एलान किया था। अब देखना ये होगा किाषि कैसे यूक्रेन की सहायता करते हैं?
ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को ब्रिटेन के साउथेम्पटन में हुआ था। उनकी मां का नाम ऊषा सुनक और पिता का नाम यशवीर सुनक है। वह तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके दादा-दादी पंजाब के रहने वाले थे। 1960 में वह अपने बच्चों के साथ पूर्वी अफ्रीका चले गए थे। बाद में यहीं से उनका परिवार इंग्लैंड शिफ्ट हो गया। तब से सुनक का पूरा परिवार इंग्लैंड में ही रहता है।ाषि ने भारत के बड़े उद्योगपतियों में शुमार इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की है। सुनक और अक्षता की दो बेटियां हैं। उनकी बेटियों के नाम अनुष्का सुनक और ष्णा सुनक है।
ऋषि सुनक की शुरुआती पढ़ाई इंग्लैंड के श्विनचेस्टर कलेजश् से हुई है। उन्होंने आगे की पढ़ाई अक्सफोर्ड से की है। 2006 में उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री भी प्राप्त की।ाषि सुनक की अक्षता मूर्ति से मुलाकात एमबीए की पढ़ाई के दौरान स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई थी। अक्षता इंफोसिस के संस्थापक एऩ नारायणमूर्ति और इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा नारायणमूर्ति की बेटी हैं। पढ़ाई के दौरान ही दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे। 2009 में दोनों की शादी बेंगलुरु में भारतीय रीति-रिवाज से हुई। अक्षता इंग्लैंड में अपना फैशन ब्रैंड भी चलाती हैं। आज की तारीख में वह इंग्लैंड की सबसे अमीर महिलाओं में से एक हैं। सुनक दंपती की दो बेटियां- ष्णा और अनुष्का हैं।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बादाषि ने श्गोल्डमैन सेक्सश् में नौकरी की।ाषि शुरू से काफी होनहार रहे हैं। 2009 में उन्होंने नौकरी छोड़ अपना व्यवसाय शुरू किया। इसके बाद उनका व्यवसाय बढ़ता ही गया। 2013 में श्कैटामारन वेंचर्स यूके लिमिटेडश् में उन्हें और उनकी पत्नी को डायरेक्टर नियुक्त किया गया। 2015 में उन्होंने इस फर्म से इस्तीफा दे दिया लेकिन उनकी पत्नी इससे जुड़ी रहीं। यह कंपनी अक्षता के पिता एऩ नारायण मूर्ति की है।
ऋषि सुनक ने 2014 में पहली बार राजनीति में कदम रखा। 2015 में उन्होंने रिचमंड से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2017 में उन्होंने एक बार फिर जीत मिली। इसके बाद 13 फरवरी 2020 को उन्हें इंग्लैंड का वित्त मंत्री बनाया गया।