वायु प्रदूषण के मसले पर केंद्र के खिलाफ दिल्ली की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की केंद्र सरकार के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर शुक्रवार को सवाल उठाया। दिल्ली ने पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में स्थित 10 थर्मल पावर प्लांट में फ्यूल गैस डीसल्फराइजेशन (एफजीडी) तकनीक का उपयोग न होने के आधार पर संचालन बंद करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य ने केंद्र सरकार के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की है, इसे लेकर उनके पास बहुत से सवाल हैं। कोर्ट देखेगा कि इस पर विचार भी किया जा सकता है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट का नकारात्मक रुख देखते हुए दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के लंबित मामले में अर्जी दाखिल करने की टूट लेते हुए अपनी जनहित याचिका वापस ले ली। जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस आऱ सुभाष रेड्डी की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि उनके पास पूछने के लिए बहुत से सवाल हैं, अगर उन्होंने सभी सवाल पूटे तो उन्हें नहीं मालूम कि केस किधर जाएगा। बेहतर होगा कि राज्य सरकार लंबित मामले में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली से कहा कि अगर केंद्र सरकार ने किसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में कोई बात कही थी और वह उससे भिन्न काम कर रही है तो राज्य सरकार को उसी मामले में अर्जी दाखिल करनी चाहिए थी। इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कालिन गोंसाल्विस ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि दिल्ली थर्मल पावर प्लांट से प्रभावित हो रही है।
उन्होंने कहा कि कोर्ट इस याचिका पर नोटिस जारी करके इसे लंबित मामले के साथ सुनवाई के लिए संलग्न कर दे, लेकिन पीठ का नकारात्मक रुख देखते हुए बाद में उन्होंने कहा कि वह याचिका वापस लेते हैं और लंबित मामले में अर्जी दाखिल करेंगे। कोर्ट ने उन्हें इजाजत देते हुए याचिका वापस लिए जाने के कारण खारिज घोषित कर दी।
इससे पहले बहस के दौरान गोंसाल्विस ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 10 थर्मल पावर प्लांटों में एफजीडी तकनीक नहीं लगे होने से प्रदूषित धुआं निकलता है जिससे दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ता है। सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड जानलेवा गैसें हैं। यह मुद्दा लोगों की सेहत से जुड़ा है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने (सीपीसीबी) ने कोर्ट से कहा था कि धुएं के संशोधित मानक लागू किए जाएंगे। इस पर जस्टिस सिन्हा ने कहा कि अधिसूचना के मुताबिक ये 2022 से लागू होंगे। गोंसाल्विस ने कहा कि नई अधिसूचना देखिए। प्रदूषण की स्थिति खराब है, मानक जल्द लागू होने चाहिए। पीठ ने कहा, आपका केस यह है कि सीपीसीबी ने कोर्ट से कुछ कहा था और अब वह उसका पालन नहीं कर रहा तो आप उसी केस में अर्जी दाखिल करिए।