बीते वर्षाकाल में अतिवृष्टि के चलते आमसौड़ गांव को हुआ था भारी नुकसान
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : बरसात के मौसम ने एक बार फिर आमसौड़ के ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। हल्की वर्षा होने पर ही ग्रामीणों को भूस्खलन का खतरा सताने लगा है। बीते वर्षाकाल में आमसौड़ के ग्रामीणों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। परिवारों को पूरी वर्षा अन्यत्र शिफ्ट होना पड़ा।
2023 के सितंबर माह में अतिवृष्टि के चलते आमसौड़ गांव के ऊपर केलापानी का पहाड़ दरकने लगा व मलबा व बोल्डर गांव की ओर आ गए। प्रशासन ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया। ग्रामीणों की उम्मीद थी कि सरकारी तंत्र उन्हें भूस्खलन के दंश से निजात दिलाएगा। लेकिन, वर्ष भर सरकारी सिस्टम ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली। उधर, भूस्खलन जोन पर ट्रीटमेंट कार्य नहीं हुए। इस बीच बीते वर्ष छह जुलाई को भी पहाड़ी का हिस्सा दरकते हुए भारी मलबे व बोल्डर के साथ गांव के ऊपर गिर गया, जिससे पहाड़ी के नीचे कई भवनों के कमरों में मलबा भर गया था। साथ ही गांव के लिए बिछाई गई पेयजल लाइन भी टूट गई थी। इसके बाद बीते वर्ष 22 अगस्त की मध्य रात्रि अतिवृष्टि के दौरान पहाड़ी फिर दरक गई और भारी मलबा व बोल्डर गांव के ऊपर आ गए। भारी मलबे की चपेट में आने से जहां राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित सीएचसी सेंटर व एक दुकान की दीवार ढह गई थी। वहीं, कई घरों में भारी मलबा भी आ गया था। ग्रामीणों ने रात के अंधेरे में अपने घरों को छोड़कर पंचायत भवन में शरण ली। सुरक्षा को देखते हुए गांव में पहाड़ी के नीचे रहने वाले 25 परिवारों में से दस परिवारों ने कोटद्वार व दुगड्डा में किराए के कमरे में शिफ्ट हो गए।
प्रशासन ने नहीं ली कोई सुध
प्रशासन ने आमसौड़ गांव में भूस्खलन रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किए हैं। हालात यह है कि अभी तक गांव का भूगर्भीय सर्वे तक नहीं हुआ। नतीजा, आपदा प्रभावित होने के बावजूद गांव को आपदाग्रस्त गांवों की सूची में शामिल नहीं किया गया है। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य कुंदन सिंह ने बताया कि बीते वर्ष आई आपदा के दौरान पहाड़ी से नाले के रूप में पूरा पानी गांव की ओर आया। इस नाले में जमा मलबे की अभी तक सफाई नहीं हो पाई है। ऐसे में इस बरसात में भी ग्रामीणों के लिए खतरा बना हुआ है।