जैव-चिकित्सीय अनुसंधान में बढ़ रही एआई की भूमिका

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श्रीनगर गढ़वाल : गढ़वाल विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं जंतु विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को द एआई इम्पेरेटिव: एक्सेलरेटिंग थेरेप्यूटिक डेवलपमेंट विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के चिकित्सीय खोज एवं जैव-चिकित्सीय नवाचार के क्षेत्र में रूपांतरणकारी संभावनाओं का अन्वेषण करने के उद्देश्य से हुई कार्यशाला में छात्रों ने बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया। कार्यशाला के संयोजक एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जीके जोशी ने कार्यशाला के उद्देश्यों एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आधुनिक जैव-चिकित्सीय अनुसंधान में एआई की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। कार्यशाला के मुख्य वक्ता यूनिवर्सिटी ऑफ कैनबरा ऑस्ट्रेलिया कि प्रो. एमेरिटा प्रो. रीना घिल्डियाल ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता दवा लक्ष्य की पहचान एवं प्रमाणीकरण के साथ ही प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स के डिजाइन और प्रबंधन में एआई के योगदान के बारे में बताया। प्रो. घिल्डियाल ने हैंड्स-ऑन सत्र का संचालन करते हुए प्रतिभागियों को एआई आधारित संगणनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रयोग से चिकित्सीय विकास और अनुवादात्मक परिणामों में तेजी लाने के व्यावहारिक उपायों के बारे म़ें बताया। कार्यशाला में जीवविज्ञान और औषधि विज्ञान से संबंधित विषयों के लगभग 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन शिप्रा खण्डूड़ी ने किया। मौके पर डॉ. गौरव भट्ट, डॉ. बबीता राणा, प्रो. मुरुग्राज, डॉ. दीपक भंडारी, डॉ. पूजा सकलानी, डॉ. राम साहू, डॉ. डिगर, डॉ. गुंजन आदि मौजूद थे। (एजेंसी)

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