उत्तराखंड

सरकार की सुस्ती बढ़ा रही मिलावट खोरों के हौसले

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-मिलावट की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद भी सरकार नहीं उठा रही ठोस कदम
-राजधानी से लेकर अन्य जिलों तक के सैंपलों की जांच सिर्फ रुद्रपुर स्थित औषधि एवं खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला के भरोसे
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : मिलावट खोरी पर लगाम लगाने के सरकार व विभाग भले ही लाख दावे करें, लेकिन इन खोखले दावों की पोल मिलावट खोरी को रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं से खुल जाती है। दरअसल, राज्य गठन को 21 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक राजधानी देहरादून से लेकर तमाम जिलों से लिए जाने वाले खाद्य पदार्थों के सैंपल की जांच की जिम्मेदारी सिर्फ रुद्रपुर स्थित औषधि एवं खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला पर ही है। यहां भी सैंपल भेजे हुए महीनों बीत जाते हैं, लेकिन खाद्य पदार्थों की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाती है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार व विभाग मिलावट को लेकर कितने गंभीर हैं।
अभी हाल ही में खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2021-22 में उत्तराखंड राज्य शीर्ष दस राज्यों में शामिल हुआ है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) की ओर से खाद्य सुरक्षा सूचकांक पर चौथी रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें उत्तराखंड सातवें स्थान पर है। दावे किए जा रहे हैं कि राज्य में खाद्य सुरक्षा के मोर्चे पर काफी सुधार हुआ है। इस रिपोर्ट में राज्यों को पांच मानदंडों, खाद्य सुरक्षा, मानव संसाधन व संस्थागत आंकड़ों, एक्ट के अनुपालन, खाद्य परीक्षण सुविधा, प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण के अलावा उपभोक्ता सशक्तीकरण के आधार पर रैंकिग दी जाती है। इस प्रकार के सर्वे और रैकिंग से तो लगता है मानों मिलावट खोरी पर पूरी तरह से लगाम लग गई है, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी सिर्फ त्योहारों पर ही जागते हैं और खानापूर्ति के लिए खाद्य पदार्थों के सैंपल लेकर रुद्रपुर स्थित औषधि एवं खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में भेज देते हैं। अब यहां से इन सैंपलों की जांच रिपोर्ट कब तक आएगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं होता है।

मात्र 18 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के भरोसे पूरा प्रदेश
सरकार और खाद्य सुरक्षा विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खाद्य सुरक्षा के मोर्चे पर पूरा प्रदेश सिर्फ 18 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के भरोसे है। प्रदेश के सभी जिलों, ब्लॉक व तहसीलों की जिम्मेदारी इन्हीं खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के कंधों पर है। जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी पौड़ी अजब सिंह रावत ने बताया कि पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री ने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली थी। जिसमें यह मामला भी उठाया गया था। तब स्वास्थ्य मंत्री ने जल्द ही इस पर ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया था।

पौड़ी जिले में भी फूड इंस्पेक्टर के छह में चार पद हैं रिक्त
खाद्य सुरक्षा के नाम पर मजाक तो यह है कि एक तरफ बेहतर व्यवस्था के दावे किए जा रहे हैं और दूसरी तरफ खाद्य सुरक्षा विभाग में पर्याप्त अधिकारी तक नहीं हैं। बात पौड़ी जिले की ही करें तो यहां फूड इंस्पेक्टर के छह पद सृजित हैं, जिनमें से मात्र दो पदों पर ही तैनाती की गई है। जबकि चार पद रिक्त चल रहे हैं। इन दो अधिकारियों में फूड इंस्पेक्टर रचना लाल को यमकेश्वर, लैंसडौन, पौड़ी तहसील, सतपुली और कोटद्वार की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, फूड इंस्पेक्टर बलवंत सिंह को श्रीनगर, थलीसैंण, धुमाकोट, चौबट्टाखाल की जिम्मेदारी दी गई है। मात्र दो अधिकारियों पर इतनी जगहों की जिम्मेदारी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खाद्य सुरक्षा के मानकों पर किस तरह नजर रखी जा रही होगी।

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